फुहारा सिंचाई से किसान करें पानी की बचत

Update: 2017-05-30 18:24 GMT
घटते जल स्तर के बीच बाराबंकी जिले की मेंथा फसल चिंता का कारण बन गयी है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बाराबंकी। पानी का घटता स्तर एक संकट बनता जा रहा है। अधिकतर नलों ने पीने के लिए पानी देना बंद कर दिया है। वहीं सिंचाई के लिए खेत की बोरिंग भी साथ नहीं दे पा रही है। इस घटते जल स्तर के बीच बाराबंकी जिले की मेंथा फसल चिंता का कारण बन गयी है। पानी के संकट को देखते हुए जनपद के एक किसान ने नया तरीका निकाला है। वह मेंथा की फसल में फुहारा विधि से सिंचाई कर रहे हैं, जिसमें कम पानी की जरूरत पड़ती है।

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर हैदरगढ़ रोड पर स्थित ग्राम नेवली के 45 वर्षीय किसान उमा शंकर अपने खेत में फुहारा सिंचाई विधि से करते हैं। इस सिचाई विधि से प्रतिदिन आधा घंटा सिंचाई करने पर मात्र 12000 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार 90 दिन की फसल के लिए 10 लाख लीटर पानी में पूरी फसल हो जाती है।

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छह एकड़ में फुहारा सिंचाई विधि लगाने में तीन लाख रुपए की लागत लगी थी, जिसका 67% अनुदान उद्यान विभाग द्वारा प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत मिल गया है। इस विधि से न केवल पानी की बचत होती है बल्कि खाद भी पूरे खेत में स्प्रे हो जाती है, जिससे खाद भी कम लगती है।
उमा शंकर , किसान, ग्राम नेवली

तीन महीने की इस फसल में प्रत्येक सप्ताह में पानी लगाना पड़ता है। एक एकड़ में केवल एक बार में लगभग चार लाख लीटर पानी लग जाता है इस प्रकार खुला पानी लगाने पर लगभग 48 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।उमाशंकर बताते हैं, “मैंने पहले पोस्ता की फसल में प्रयोग के तौर पर फुहारा सिंचाई की व्यवस्था की थी, जिसका परिणाम बहुत ही अच्छा रहा।

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