पशुपालकों के लिए अच्छी खबर, हरे चारे के गहराते संकट को दूर करेगा यह गेहूं

Update: 2017-03-25 19:31 GMT
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लखनऊ। घरों में पाले जा रहे मवेशियों के सामने हरे चारे का संकट आ गया है। इंडियन ग्रासलैंड एंड फूडर रिसर्च इंस्टीट्यूट ( आईजीएफआरआई ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 63.5 प्रतिशत हरे चारे की कमी से जूझ रहा है। जिसका सीधा असर पशुपालन खासकर दूधारू पशुओं पर पड़ रहा है। लेकिन पशुओं के हरे चारे के संकट का दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) पटना ने एक ऐसा शोध किया है, जिससे किसानों को एक तरफ जहां पशुओं के लिए पर्याप्त संख्या में हरा चारा मिलेगा वहीं किसानों का अनाज की अच्छी उपज मिलेगी।

इस बारे में जानकारी देते हुए आईसीएआर पटना के निदेशक डा. बीपी भट्ट ने बताया '' पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले मल्टीकट गेहूं की प्रजाति पर रिसर्च करके इसे मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुकूल बनाया गया है। इसे चारा और गेहूं दोनों पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है। ''

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उन्होंने बताया कि विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र अल्मोड़ा से गेहूं की प्रजाति वीए-829 और वीएल-616 को आईसीएआर पटना में लगाया गया। 50 दिन बाद इसे पशुओं के चारा के लिए जमीन की चार इंच ऊंचाई तक छोड़कर काटा गया। जिसमें प्रति हेक्टेयर 80 कुंतल के करीब चारा मिला। उसके बाद गेहूं के पौधे फिर बढ़ गए और बालियां भी आ गईं।

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इस बारे में यहां के वैज्ञानिक डाॅ. अमिताभ डे ने बताया कि हरे चारे को लेकर पूरे देश में स्थिति खराब है। पशुओं को पर्याप्त संख्या में चारा नहीं मिल पा रहा है। जबकि गाय और भैंस जैसे दूधारू पशुओं और उनके प्रजनन के लिए जरूरी है कि उन्हें प्रतिदिन जो चारा दिया जाता है उसमें 50 प्रतिशत चारा हरा हो।

इंडियन ग्रासलैंड एंड फूडर रिसर्च इंस्टीट्यूट ( आईजीएफआरआई) की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि 2011 से ही देश में हरे चारा में कमी आ रही है। इसमें बताया गया है कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा और तेलंगाना जैसे प्रदेशों में हरे चारा की भीषण कमी होने वाली है।

ऐसे में इन प्रदेशों में हरे चारे को बढ़ावा देने के सरकारों से योजनाएं बनाने का सुझाव दिया गया है। सरकार से कहा गया है कि वह हरा चारा के बीजों को मुफ्त में किसानों के बीच वितरण कराएं। जिससे किसाना हरे चारे की खेती कर सकें। इंडियन ग्रासलैंड एंड फूडर रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर पीके घोष ने कहा '' देश में राष्ट्रीय चारा नीति बनाने की जरूरत है। कृषि फसलों की तरह इसके लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य, सब्सिडी और किसानों को लोन देने की जरूरत है। '' उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो चारे का संकट देश में दूर होग।

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