मलिहाबाद में मौसमी का पेड़ दे रहा 400 ग्राम के आकर्षक फल

Update: 2016-11-19 19:37 GMT
400 ग्राम के आकर्षक मौसमी के फलों को देखते फल उत्पादक मशरूर हसन खां ।

सुरेन्द्र कुमार

मलिहाबाद/लखनऊ। मलिहाबाद नगर पंचायत के मोहल्ला मिर्जागंज निवासी हाजी मशरूर हसन खां की लगन और मेहनत सफल हुई। उनके द्वारा रोपित और संरक्षित किये गये मौसमी के पेड़ में 400 ग्राम तक के 5 दर्जन से अधिक मौसमी के फल निकले हैं। इन फलों को देखने के लिए गाँव के लोग काफी उत्साहित भी हैं।

मेहनत के साथ कुदरत का कारनामा

उत्पादक मशरूर हसन खां का कहना है कि इतने खूबसूरत और इतने वजन का मौसमी का फल उन्होंने अपने प्रयास से उत्पादित किया है। राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों व जिलों मे उत्पादित हो रही मौसमी सामान्य रूप से 150 ग्राम की होती है। उनके द्वारा विकसित किये गये पेड़ मे कई गुना वजन की मौसमी उत्पादित होने लगी है। यह उत्पादित मौसमी जब पककर तैयार होती है तो इसका स्वाद मीठा होने के साथ फल रस से भरा होता है। फूल आने के बाद हरे रंग से विकसित होने वाली उनकी मौसमी मे धीरे-धीरे पीला रंग आ जाता है। पकने के समय यह लाल रंग की हो जाती है। ऐसी रस से भरी वजनदार व रंगदार मौसमी, उन्होंने देश के किसी भी हिस्से मे नहीं देखी। यह उनकी मेहनत के साथ कुदरत का कारनामा है।

नहीं निकले फल-फूल तो लगा काट दें

उन्होंने बताया कि 6 वर्ष पूर्व उन्होंने मौसमी का फल खाकर अपने परिसर मे लगे गमले मे बीज डाल दिये थे। जिसमें एक पौधा 3 इंच का विकसित होता देख उनके मन में इस पौधे को नींबू के कलमी पौधे से ग्राफ्ट कराने की इच्छा उत्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने ग्राफ्टिंग कर दी। कुछ समय बाद जब यह पौधा 3 फीट का हो गया। तो इस पौधे को वहां से निकाल दूसरी जगह स्थापित कर दिया। धीरे-धीरे विकसित हो रहे पौध में फल व फूल तक नहीं निकले। जिससे लगा कि यह पौधा अब आगे फल नहीं देगा। इसे काट देना चाहिए।

तब निकला एक फूल

आशा व विश्वास के साथ उन्होंने उस पेड़ को नहीं काटा। गत वर्ष 2015 मे अचानक इस पौधे मे फूल आ गया। जो काफी महकदार था। इसकी महक इनके मकान सहित आसपास के मकानों तक फैली। फूलों से बने फल तैयारी पर काफी वजनदार व आकर्षक थे। वर्तमान वर्ष में यह पेड़ 8 फीट ऊंचा होने के साथ 6 फीट चौड़ाई मे विकसित हो चुका है। इस वर्ष आयी फसल में इस समय 5 दर्जन से अधिक मौसमी के फल वजनदार पीले रंग में मौजूद हैं। यह फल चंद दिनों बाद जब पकने की कगार पर होंगे तो इनका रंग लाल रंग में बदल जायेगा।

जब बोले मशरूर हसन खां

मशरूर हसन खां का कहना है कि इस अनोखे फल को व्यापक स्तर पर बढ़ाने के लिए वह अपनी नर्सरी में इसकी पौध ग्राफ्टिंग पद्धति से तैयार कर अन्य किसानों को देंगे। अगर सरकार ने उनका सहयोग किया तो वह इसे बड़े स्तर पर विकसित करके देश की मांग को पूरा करने में सहयोग करेंगे। इसकी पौध व फलों को विकसित करने मे रसायनिक खादों व कीटनाशक दवाओं का वह कोई प्रयोग नहीं करते। क्योंकि इसमें कीटाणु नहीं लगते। इस पौध की तैयार मौसमी के फलों को वह प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी व सांसद डिम्पल यादव को भेंट कर उन्हीं से इस फल का नामकरण करायेंगे।

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