आईसीएआर ने पिछले 50 वर्षों में विकसित की हैं 5500 से अधिक उन्नत किस्में

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने खेती और पशुपालन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए 5500 से ज्यादा किस्में विकसित की हैं। इनसे किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिल रहा है।

Update: 2021-07-22 12:55 GMT

कर्नाटक में मिर्च तोड़ती महिला किसान। फोटो: विकिपीडिया कॉमन्स

खेती और पशुपालन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पिछले कई वर्षों ने नए शोध व नई तकनीकियों को विकसित करता आ रहा है। साल 1969 से अब तक आईसीएआर ने 5500 से अधिक किस्में विकसित की हैं।

कृषि एवं कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 20 जुलाई को लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में जानकारी दी है। साल 2014 से लेकर 2021 तक पिछले सात वर्षों में 70 फसलों की 1575 किस्में विकसित की गईं हैं, इनमें अनाजों की 770, तिलहन की 225, दालों की 236, रेशा फसलों की 170, चारा फसलों की 104, गन्ने की 52 और दूसरी अन्य फसलों की 8 किस्में शामिल हैं। इनके साथ ही बागवानी फसलों की 288 किस्में विकसित की गईं हैं।

पशुपालन क्षेत्र में बैकयार्ड पालन के लिए पोल्ट्री की 12 उन्नत किस्में, सुअर की 9 किस्में और भेड़ की एक किस्म विकसित की गई है। मत्स्य उत्पादन के लिए 25 प्रजाति और सजावटी मछलियों की 48 प्रजातियां विकसित की गईं हैं। पशुपालन व मत्स्य पालन के क्षेत्र में कुल 47 और 25 नई वैक्सीन व किटें विकसित की गईं हैं।

पिछले सात वर्षों में अनुसंधान संस्थानों ने यंत्रकरण को बढ़ाने, कठिन परिश्रम को कम करने, खेती-किसानी की क्षमताओं में सुधार करने, कटाई में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए 230 कृषि मशीनरी/उपकरण विकसित किए गए हैं। भारत सरकार ने साल 2014-15 में कृषि यंत्रीकरण पर उपमिशन योजना शुरू की है, जिसके तहत पिछले सात सालों में 15390 कस्टम हायरिंग सेटर, 360 हाईटेक हब्स, 14235 कृषि मशीनरी बैंकों की स्थापना की गई है।


वायु प्रदूषण से निपटने व फसल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए मशीनरी के लिए सब्सिडी देने के लिए प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेसिड्यू शुरू की गई है, जोकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में संचालित हो रही है।

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