रामदाने की खुशबू से दूर भागती है नीलगाय

Update: 2017-05-30 16:55 GMT
नीलगाय से फसल को बचाने के लिए रामदाना की खेती शुरू कर दी है।

कम्युनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। किसानों ने नीलगाय से फसल को बचाने के लिए भिंडी की फसल के साथ ही रामदाना की खेती शुरू कर दी है। इससे किसान एक साथ दो फसल लेकर दोगुना मुनाफा भी कमा रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 33 किमी. दूर बछरावां ब्लॉक के देवपुरी, बहादुरपुर, तिलेंडा, जिगो और आसपास के दर्जनों गाँव के किसान नीलगाय से परेशान हैं, वहीं पर कुछ किसान नीलगाय से फसल बचाने के लिए भिंडी की फसल के साथ ही रामदाना की खेती कर रहे हैं। बहादुरपुर किसान अजय राजपूत (35 वर्ष) पिछले दस वर्षों से भिंडी की खेती करते हैं।

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वो बताते हैं, “‘शुरू-शुरू में नीलगाय बहुत परेशान करती थी, जिससे बचने के लिए हम खेत में पुतला बना देते थे। पुतला बना देने से कुछ दिन तो नीलगाय नहीं आती। लेकिन फिर कुछ दिन बाद चाहे पुतला हो या कुछ नीलगाय खेतों में आकर पूरा खेत खराब कर देती थी।” वो आगे बताते हैं, “ऐसे में मेरे दिमाग में आया कि रामदाना की खुशबू से नीलगाय नहीं आती है, क्यों न साथ में रामदाना बो दिया जाए।” अजय ने रामदाना बो दिया और नीलगायों का आना बंद हो गया।

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