अब किसानों को उधार मिलेगी खाद

Update: 2016-11-24 19:59 GMT
फोटो: अभिषेक वर्मा

लखनऊ। मैनपुरी के किसान रामकिशन बीते कई दिनों से गेहूं की बुवाई नहीं कर पा रहे थे क्योंकि खाद लेने के लिए उनके पास नई करेंसी नहीं थी लेकिन अब केंद्र सरकार ने रामकिशन जैसे लाखों किसानों को राहत दी है। सरकार ने खाद कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे उन जगहों पर किसानों को उर्वरक उधार में उपलब्ध करायें जहां नकदी या बैंक सेवा नहीं है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को नोटबंदी के कारण रबी मौसम में उर्वरक खरीदने में समस्या नहीं हो।

पांच और एक हजार की नोट बंद हो जाने के कारण प्रदेश के किसानों को भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन की बुवाई चल रही है और पैसा न होने से किसान बीज और उर्वरक के लिए भटक रहे हैं लेकिन अब उनकी इस समस्या का समाधान हो जाएगा। सरकार के इस फैसले का किसानों ने स्वागत किया है। प्रदेश के बलिया जिले रक्सर गाँव की प्रधान स्मृति सिंह ने बताया, “साधन सहकारी समितियों में खाद की उपलब्धता पहले सुनिश्चित कराई जाए क्योंकि अभी जितनी खाद किसानों को चाहिए होती है वह यहां से उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में सरकार को फैसला करने के दौरान इन बातों को भी ध्यान रखना था।”

सरकार ने कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि सहकारी संस्था, डीलर और खुदरा विक्रेता बैंक चेक, क्रेडिट और डेबिट कार्ड समेत भुगतान के सभी माध्यम किसानों से स्वीकार करें। सरकार ने जोर देकर कहा कि देश में मौजूदा रबी मौसम में उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति है और मृदा पोषक तत्वों की सुचारू बिक्री के लिये निर्देश जारी किए गए हैं।

भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि किसानों के लिये उनकी मांग के अनुरूप बिना किसी समस्या के उर्वरक की उपलब्धता हो।
अनंत कुमार, उर्वरक मंत्री

उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने एक बयान में कहा कि राज्य के मुख्य सचिवों तथा कृषि आयुक्तों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि सभी सहकारी संस्था, निजी खुदरा (थोक विक्रेता उधार), क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड एवं चेक आदि समेत सभी भुगतान माध्यम स्वीकार करते हुए किसानों को उर्वरक की आपूर्ति करें। मंत्री ने यह भी कहा कि सभी उर्वरक विनिर्माताओं तथा आयातकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि सभी संबद्ध डीलर, थोक विक्रेता तथा खुदरा विक्रेता सभी माध्यमों के जरिये भुगतान स्वीकार करें।

फिलहाल गेहूं, दाल और तिलहन की बुवाई जारी है। केंद्र पहले ही बीज खरीदने के लिये किसानों को 500 रुपए के नोट स्वीकार करने की अनुमति दे दी है लेकिन उर्वरकों के मामले में ऐसी मंजूरी नहीं दी गयी है।

बंद हुई साधन सहकारी समितियां अब दे सकेंगी खाद

गाँवों में सरकार की तरफ किसानों को उचित मूल्य और अनुदान पर उर्वरक को साधन सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। एक न्याय पंचायत में लगभग एक साधन सहकारी समिति होती है। यहां से किसान नकद या फिर इसकी सदस्यता लेकर लोन में खाद और बीज खरीदते हैं लेकिन नोटबंदी के बाद से साधन सहकारी समितियों में भी सन्नाटा पसर गया था। किसान यहां पर खाद और बीज लेने आते थे लेकिन उन्हें यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा था। ऐसे में सरकार के इस फैसले से उम्मीद जगी है कि अब साधन सहकारी समितियों से किसानों को रबी की बुवाई के लिए उनकी जरुरत के अनुसार खाद मिल जाएगी।

यूपी में सात हजार से ज़्यादा सहकारी समितियां

उत्तर प्रदेश में सात हजार से ज्यादा साधन सहकारी समितियां और एक करोड़ से ज्यादा किसान इससे जुड़े हुए हैं। साधन सहकारी समिति से जुड़े नेता ओम प्रकाश यादव ने बताया कि सरकार ने रबी की बुवाई के लिए उधार में खाद देने को जो फैसला किया है वह अच्छा है लेकिन यह फैसला पहले ही हो जाना चाहिए था। रबी बुवाई के लिए 15 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है। सरकार को साधन सहकारी समितियों पर भी ध्यान देना हेागा क्योंकि साधान सहकारी समितियों में सचिवों की मनमानी चलती है। उत्तर प्रदेश में हर एक न्याय पंचायत साधन सहकारी समिति है।

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