पानी की एक-एक बूंद से होगी खेत की सिंचाई, भूमिगत जल के दोहन में आएगी कमी 

Update: 2017-03-09 14:13 GMT
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सिंचाई विकास योजना के तहत किसानों को सिंचाई करने के तरीके बताए जाएंगे। साथ ही योजना के तहत यंत्र लगवाने के लिए सरकार अनुदान भी देगी।

गाँव कनेक्शन संवाददाता

एटा। भूजल दोहन से सूखती जा रही धरती को बचाने के लिए जल संरक्षण की कवायद तेज कर दी गई है। अब पानी की एक-एक बूंद से फसलों की सिंचाई होगी। ताकि जल को बचाया जा सके। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सिंचाई विकास योजना के तहत किसानों को सिंचाई करने के तरीके बताए जाएंगे। साथ ही योजना के तहत यंत्र लगवाने के लिए सरकार अनुदान भी देगी।

भूमिगत जल के दोहन से जलस्तर गिरता जा रहा है। पानी की सबसे ज्यादा खपत फसलों की सिंचाई में होती है। आंकड़ों के मुताबिक, 70 फीसदी पानी का प्रयोग सिंचाई में होता है और शेष 30 फीसदी पानी का प्रयोग व्यावसायिक, घरेलू और अन्य मदों में होता है। सिंचाई में खर्च होने वाले पानी को बचाने के साथ पौधों के विकास में कोई बाधा न हो, इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री सिंचाई विकास योजना को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। खेती में पानी की बर्बादी रोकने के लिए योजना को लागू करने का निर्णय लिया है। ताकि जरूरत के हिसाब से पानी मिले और नुकसान भी न हो।

ये है योजना

प्रधानमंत्री सिंचाई विकास योजना के तहत भूमिगत पानी के दोहन को कम करना है। ड्रिप से सिंचाई को प्राथमिकता देने के लिए नए उपकरण का प्रयोग करना है। लागत अधिक होने के बावजूद बागवान व किसान इसे लगाने के लिए आगे आएं हैं। इसके लिए सरकार ने अनुदान देने की भी व्यवस्था की है। योजना के तहत छोटे किसानों को 65 फीसदी और बड़े किसानों को 55 फीसदी अनुदान दिया जाएगा।

ऐसे बन सकते हैं हिस्सा

योजना का हिस्सा बनने के लिए किसान और बागवान को जिला उद्यान अधिकारी को प्रार्थना पत्र देना होगा। अपने सभी दस्तावेजों के साथ ही राष्ट्रीयकृत बैंक में खुले खाते की संख्या और फोटो लगानी होगी।

जिले के किसानों ने दिखाई रुचि

योजना के तहत उद्यान विभाग ने किसानों और बागवानों से आवेदन मांगे थे। जिसके बाद जिले में 10 किसानों ने योजना के तहत आवेदन किया है।

ये आ रही अड़चन

योजना को लेकर किसानों और बागवानों को एक अड़चन का सामना करना है। दरअसल, अब तक योजनाओं में किसान अपना हिस्सा खर्च करता था। मगर इस योजना के तहत किसान को पहले पूरा खर्च खुद करना है। इसके बाद योजना के तहत अनुदान राशि किसान के खाते में ट्रांसफर की जाएगी। इसे लेकर किसान असमंजस में हैं।

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