अब बरेली में मिलेगा किसानों को जैविक प्रमाण पत्र

Update: 2017-04-30 10:26 GMT
जैविक खेती प्रमाण पत्र के लिए महीं भटकेंगे किसान।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बरेली। अब जैविक खेती का प्रमाणपत्र लेने के लिए किसानों को लखनऊ, दिल्ली और गाजियाबाद नहीं जाना पड़ेगा। बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर और बदायूं के किसान अब बरेली से ही प्रमाणपत्र ले सकेंगे।

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उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था ने बरेली में नोडल अधिकारी को नियुक्त किया है, जिसको जैविक खेती प्रमाणीकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बरेली के नोडल अधिकारी सुब्रतो चटर्जी ने बताया, “अभी तक 20 किसानों ने जैविक खेती के प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया है। जैविक खेती का प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही किसान उत्पाद को जैविक होने का दावा कर सकता है। किसानों को जैविक उत्पाद की दोगुनी से अधिक कीमत मिल जाती है।”

जैविक फसलों और उसके उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार ने विदेश व्यापार एवं विकास अधिनियम-1992 के अनुसार, राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान की स्थापना 8 अगस्त 2014 को की थी। यह संस्था राष्ट्रीय जैविक मानकों के अनुसार फसलों की जांच करके किसानों को स्कोप प्रमाणपत्र और कारोबार प्रमाणपत्र जारी कराती है। उत्तर प्रदेश में 44670.10 हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है।

किसान व्यक्तिगत या सामूहिक जैविक खेती के लिए आवेदन कर सकता है। 25 से 500 किसानों का समूह बनाया जा सकता है। समूह का पंजीकरण होगा, जिसका मैनेजर बनाया जाएगा, जो बीज प्रमाणीकरण संस्था को रिपोर्ट करेगा। दो हेक्टेयर के लिए किसान को आवेदन शुल्क और प्रमाणपत्र के लिए 2700 रुपए हर साल शुल्क देना होगा।

जैविक खेती को प्रमाणित करेगा प्रमाण पत्र

किसान को आवेदन के साथ अपना पैनकार्ड, फोटो, खेत की खतौनी, आधार कार्ड और खेत का अक्षांस और देशांतर भी बताना होगा। सुब्रतो चटर्जी ने बताया, किसान जीपीएस ट्रैकर और कंपास मैप के मोबाइल ऐप को इंस्टाल करके खेत में खड़े होकर अक्षांस देशांतर देख सकते हैं।

तीन चरणों में मिलेगा प्रमाण पत्र

प्रमाणपत्र को पहले साल सी-1, दूसरे साल सी-2 और तीसरे साल सी-3 चरणों में किसानों को मिलेगा। सी-3 प्रमाणपत्र के बाद ही आप जैविक खेती कर रहे इसकी श्रेणी में किसान आएगा। सुब्रतो चटर्जी ने बताया, “किसान जैविक कर रहा है इसके लिए हम बीज बोने से पहले मिट्टी का सैंपल लेते हैं फिर पैदावार के बाद सैंपल लेकर टेस्ट करते हैं। आवेदन करने वाले किसान को खेत के चारों तरफ 10-10 मीटर का बफर जोन बनाना होता है। किसी भी तरह का रासायनिक खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करना होगा।”

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