सफल किसान: यूपी के इस किसान को पीएम मोदी भी कर चुके हैं सम्मानित, खेत को बनाया रिजॉर्ट

यूपी के इस युवा किसान को जहां लगातार पांच बार सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादन के अवार्ड मिला है, वहीं अब उसने खेत को टूरिस्ट प्लेस (रिजार्ट) में बदलकर अपनी आमदनी को बढ़ाया है.. मिलिए अचल मिश्रा से

Update: 2019-11-18 07:17 GMT

लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)। ज्यादातर किसान खेती से परेशान हैं, वो मजबूरी में खेती कर रहे, क्योंकि उन्हें लगातार घाटा हो रहा है। लेकिन कुछ किसान हैं जिन्होंने अपनी खेती का तौर तरीका बदला, खेत में नए प्रयोग किए और वो खेत से ही पैसा भी कमा रहे हैं। अचल मिश्रा, यूपी में लखीमपुर जिले के एक ऐसे ही किसान हैं।

दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर यूपी की गन्ना बेल्ट लखीमपुर खीरी के पलिया इलाके के जगदेवपुर में रहने वाले अचल मिश्रा गन्ने की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। न सिर्फ उनके पास रकबा ज्यादा होता है बल्कि वो गन्ने में प्रति एकड़ उत्पादन भी काफी ज्यादा लेते हैं। गन्ने की खेती में नए प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने के लिए वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में सम्मान पा चुके हैं।

लखनऊ यूनिवर्सिटी से संबंध काल्विन डिग्री कालेज से विधि स्नातक अचल अपनी यूनिवर्सटी से गोल्ड मेडेलिस्ट भी रह चुके हैं। पढ़ाई के बाद नौकरी के बजाए खेती को ही रोजगार बनाया और अपने गांव लौटकर परंपरागत खेती में अपना ज्ञान लगाया।

अचल बताते हैं, "हमने 2006 से आधुनिक तकनीक से गन्ने की खेती शुरू की। आज हमारे भी खेतों में 18 से 20 फीट तक का गन्ना होता है। उत्पादन की बात करें तो 1100 से 1250 कुन्तल प्रति एकड़ होती है। गन्ने की खेती में पिछले 5 वर्ष से लगातार मुझे प्रथम पुरस्कार मिल रहा है।"

वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों से कुछ किसानों को किसानों को दिल्ली आमंत्रित किया था, जिसमे गन्ने की खेती करने वाले वो अकेले किसान थे। अचल के मुताबिक पीएम मोदी ने उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया था। 


लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एडी पाठक कहते हैं, अचल मिश्रा काफी प्रगतिशील किसान हैं, वो खुद से ही खेती में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। संस्थान भी जरुरत पड़ने पर उन्हें हर तरह से मदद करता है।"

इन विधियों को अपनाने से होगी गन्ने की ज्यादा पैदावार

अचल मिश्रा ने बताया कि अगर किसान हापसे विधि से खेती करते हैं तो अधिक पैदावार ली जा सकती है। इसके लिए किसान भाइयों को चाहिए कि वो ट्रेंच विधि से बुवाई करें। इसमे नाली का आकार 30 सेमी चौड़ी व गहरी, गन्ने से गन्ने की दूरी (120 सेमी 30 : 90 से.मी) बनाकर बुवाई करनी चाहिए। पूरा गन्ना बोने के बजाए टुकड़े (आंख) की बुवाई करने से बीज कम लगेगा और उपज ज्यादा होती है।" अचल के मुताबिक परंपरागत विधि से बुवाई करने से एक एकड़ में करीब 45 कुंतल गन्ना लगता है, जबकि हमारी तरह बोने में 24-28 कुंतल ही बीज लगता है जबकि उत्पादन कई काफी बढ़ जाता है।


बुवाई से पहले बीज शोधन बहुत जरूरी।

खेत मे बुवाई करते समय किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि जो बीज की बुवाई कर रहे हैं उसका शोधन बहुत जरूरी होता है। बीजोपचार के साथ ही जरुरत के हिसाब से भूमि शोधन भी करें। समय समय पर मिट्टी की जांच कराते रहें।

दूर-दूर से आते है किसान गन्ने की ट्रेनिंग लेने।

अचल की खेती देखने के लिए दूर-दूर से किसान उनके खेत पर आते हैं। जिसमें यूपी के साथ ही कई दूसरे राज्यों के भी किसान होते हैं। अचल ने अपने फार्म हाउस पर इन किसानों के लिए रुकने का भी इंतजाम किया है ताकि किसान कई दिन रुकर आसानी से सीख सकें।

अक्सर आने वाले किसानों की संख्या और खेती में नई नई तकनीकों की जरुरत को देखते हुए अचल अपने फार्म हाउस पर कृषि महाविद्यालय बनाना चाहते हैं। अचल कहते हैं, मेरी कोशिश है कि अपने स्वर्गीय पिता के नाम पर एक कृषि कालेज खोलू, जिसमें गन्ने की नई प्रजाति विकसित की जाएं और लोगों को खेती की नई चीजें सिखाई जाएं।


ड्रिप से करें सिंचाई, सरकार देती है 90 फीसदी तक अनुदान

केला और गन्ना ऐसी फसलें है जिसमें पानी की खपत काफी ज्यादा होती है। इसीलिए जागरुक किसान बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली यानि ड्रिप इरीगेशन करते हैं। अचल कहते हैं, इस विधि में पौधे के पास जरुरी नमी बनी रहती है और पानी का ज्यादा दोहन भी नहीं होता है। यूपी में ड्रिप पर सरकार 90 फीसदी तक अनुदान भी दे रही है।Full View

अपने खेत को बनाया फार्महाउस, पर्टयन से भी होती है कमाई

खेती में नए नए प्रयोग करने वाले अचल ने अपने खेत को रुरल टूरिज्म से भी जोड़ दिया है। फार्म हाउस में ही रुकने की व्यवस्था की है। अचल का फार्म हाउस दुधवा नेशनल पार्क से सटा है। उन्होंने यूपी के पर्टयन विभाग से मिलकर अपने यहां यात्रियों के रुकने का इंतजाम किया है। इसके बदले उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है। यूपी टूरिज्म की तरह से इसकी बुकिंग भी होती है।

आने वाले यात्रियों को देते है शुद्ध जैविक भोजन

गेस्ट हाउस में ठहरने वाले यात्रियों को एक बेहतरीन शहर की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कही ज़्यादा शान्ति का वातावरण मिलता है। इसके साथ साथ शुद्ध जैविक विधि से तैयार की गई सब्जियों और अनाज का भोजन मिलता है।


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