कुशीनगर (आईएएनएस/आईपीएन)। पूर्वांचल में मानसून के दौरान अच्छी वर्षा की संभावना की वजह से 2017-18 में चीनी उत्पादन में बढ़ोत्तरी की संभावना है। पिछले साल के मुकाबले इसमें एक-चौथाई वृद्धि हो सकती है। उत्पादन में होने वाला यह इजाफा उपभोग स्तर के करीब रह सकता है। इससे भारत में चीनी की आयात मांग कम हो सकती है। इस कारण पहले ही एक साल से निम्नतम स्तर के निकट चल रहे अंतर्राष्ट्रीय दामों में और कमी हो सकती है।
ज्ञातव्य हो कि मौसम पर अल नीनो के भारी असर से 2015 में गंभीर सूखे के बाद 30 सितंबर को समाप्त होने वाले 2016-17 के फसल वर्ष में भारत को 5,00,000 टन चीनी का आयात करना पड़ा था। नैशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के अनुसार मांग के लिए स्थानीय आपूर्ति पर्याप्त रहेगी। हमें और आयात करने की जरूरत नहीं है।
दक्षिण पश्चिम तट पर दस्तक दे चुका है मानसून
2017 में मॉनसून की सामान्य बर्षा की भविष्यवाणी की गई है। मंगलवार को मॉनसून दो दिन पहले ही देश के दक्षिण-पश्चिम तट पर दस्तक दे चुका है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी जल्द ही अच्छे मानसून की संभावना है। अगर मानसून अच्छा रहा तो उत्पादन में भी तेज वृद्धि की उम्मीद की जा सकती हैं।
अच्छी बरसात ने बढ़ाई गन्ने की पैदावार
चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर आता है। यहां एक के बाद एक लगातार सूखे की वजह से उत्पादन में तेज गिरावट आई है, जिससे देश को चीनी आयात शुल्क मुक्त करना पड़ा। पिछले वर्ष अच्छी बरसात से किसानों ने गन्ने के क्षेत्र को बढ़ाया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती में 29240 हेक्टयर, सिद्धार्थनगर में 577 हेक्टेयर, महराजगंज में 6389 हेक्टयर, गोरखपुर में 1216 हेक्टयर गन्ना की पेड़ी लगायी गयी है। वही कुशीनगर 67800 हेक्टेयर गन्ना पिछले बर्ष बोया गया था। जिसमें करीब 15 से 20 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।