जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती पर रोक बढ़ी 

Update: 2016-10-17 18:39 GMT
जीएम सरसों का देशभर में हो रहा है विरोध।

नई दिल्ली (भाषा)। उच्चतम न्यायालय ने आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित (जीएम) सरसों की वाणिाज्यिक खेती की अनुमति पर लगी रोक अगले आदेश तक बढ़ा दी है क्योंकि यह मसला सोमवार को सुनवाई के लिये नहीं आ सका था।

न्यायालय ने सात अक्तूबर को जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती पर दस दिन की रोक लगाई थी। न्यायालय ने कहा कि यह स्थगन आदेश अभी जारी रहेगा और वह इस मामले की सुनवाई अब 24 अक्तूबर को करेगा।

न्यायालय ने पिछली तारीख में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह जीएम सरसों की खेती की अनुमति देने से पहले लोगों के बीच रायशुमारी करे। वैसे सरकार ने अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं किया है। मामले की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की जगह उसके वकील को पेश होने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है।

पिछली तारीख पर केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर सहमति दी थी कि 17 अक्तूबर तक जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती के बारे में कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि इस बारे में जनता से राय और सुझाव लिए जाएंगे और उन्हें आकलन समिति के सामने रखा जाएगा। इसके बाद ही इस पर कोई निर्णय किया जाएगा।

मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार को इस याचिका का जवाब देना है। उन्होंने इस आरोप को भी अस्वीकार कर दिया था कि जीएम सरसों की बुवाई समुचित जांच-परख के बगैर ही की जा रही है।दूसरी ओर, याचिकाकर्ता अरुणा रोड्रिग्स के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि सरकार विभिन्न खेतों में इस बीच की बुवाई कर रही है।

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