तकनीक का कमाल, बांझ गायें दे रहीं दूध

Update: 2017-04-15 13:05 GMT
योगेश मिश्रा ने बांझ गायों को नई तकनीक से दूध देने के काबिल बना रहे हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

शाहजहांपुर। जहां एक तरफ गाँवों में दूध न देने वाले गायों को पशुपालक छुट्टा छोड़ देते हैं वहीं पैना बुजुर्ग गाँव के योगेश मिश्रा (66 वर्ष) ने बांझ गायों को नई तकनीक से दूध देने के काबिल बना रहे हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किमी. दूर भावलखेड़ा ब्लॉक के पैना बुजुर्ग गाँव में योगेश ने एक छोटी सी गोशाला बना रखी है। इस गौशाला में इस समय तीन गाय है। योगेश बताते हैं, “पिछले दस वर्षों से हम इस काम लगे है।

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ज्यादातर पशुपालक दूध न देने वाली गायों को छुट्टा छोड़ देते हैं और उनको लोग ले जाते हैं। इसलिए मैंने यह काम शुरू किया। अब तक 30 गाय दूध देने लगी हैं। आस-पास में कई पशुपालकों को अपने पशुओं में बांझ होने की समस्या झेलनी पड़ती है ऐसे पशुओं की मैं मदद करता हूं।”

भारत में डेयरी फार्मिंग और डेयरी उद्योग में बड़े नुकसान के लिए पशुओं का बांझपन जिम्मेदार है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। दुधारु पशुओं में बढ़ते बांझपन की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार भी गाय/ भैसों में अनुर्वता एवं बांझपन निवारण की योजना चला रही है। यह योजना 13 जिलों में चलाई जा रही है।

बांझपन होने का क्या है कारण

बांझपन होने का कारण बताते हुए डॉ. टीबी यादव बताते हैं, “दुधारु पशुओं में पोषक तत्व (जिंक, कॉपर, कॉमनसोल्ट) की सबसे ज्यादा जरूरत होती है जो मिनिरल मिक्सचर पूरी करता है लेकिन ज्यादातर पशुपालक इस पर ध्यान नहीं देते हैं। महीने में दस से ज्यादा पशुपालक यह समस्या लेकर केंद्र में आते हैं।”

ऐसे करते हैं काम

बांझ गायों को दूध देने के काबिल बनाने वाली तकनीक के बारे में योगेश बताते हैं, “बच्चा नहीं देने वाली गाय-भैंस में इंड्यूज लेक्टेशन तकनीक के जरिए दूध पैदा किया जाता है। मतलब निर्धारित कोर्स के अनुसार पशु को हार्मोन व स्टेरायड का इंजेक्शन दिया जाता है उसके कुछ दिन बाद वो दूध देने के काबिल होती है। इस कोर्स का पूरा खर्चा मैं खुद उठाता हूं और जब गाय ठीक हो जाती है उनके मालिक को दे देता हूं।”

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