कीमतें बढ़ने से बढ़ा दालों का रकबा

Update: 2016-07-20 05:30 GMT
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इंदौर (भाषा)। चालू सत्र में दलहनी फसलों का रकबा बढ़ने की आशंका है। यही कारण है कि दाल की कीमतें बढ़ने के बाद मध्य प्रदेश के किसानों का रूझान खरीफ सत्र में दलहनी फसलों की ओर बढ़ा है।

प्रदेश के कृषि विभाग के निदेशक मोहनलाल मीणा ने बताया, “सूबे में मौजूदा खरीफ सत्र में सरकारी लक्ष्य के मुताबिक 21.51 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुवाई का अनुमान है। अब तक इसमें से 12.50 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलें बोई जा चुकी हैं।”

उन्होंने कहा, “सूबे के कुछ हिस्सों में पिछले दिनों भारी बारिश से सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। इन हिस्सों में किसानों को फिर से बुवाई करनी होगी और हमें लगता है कि इस बार वे सोयाबीन की जगह दलहनी फसलें बोएंगे। इससे दलहनी फसलों का रकबा और बढ़ेगा। मीणा ने बताया कि प्रदेश में इस महीने के अंत तक दलहनी फसलों की बुवाई खत्म हो जाएगी।

कृषि के जानकारों ने बताया कि खुदरा बाजार में दालों की कीमतें चढ़ने के बाद मौजूदा खरीफ सत्र में सूबे के किसान दलहनी फसलों की तरफ इस उम्मीद में आकर्षित हुए कि इनकी खेती से उन्हें अपनी उपज का बढ़िया भाव मिलेगा।

जानकारों ने बताया कि प्रदेश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान मौसम की मार के कारण किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था। लिहाजा परंपरागत रुप से सोयाबीन उगाने वाले किसानों ने भी इस खरीफ सत्र में दलहनी फसलों की खेती को तवज्जो दी।

प्रदेश सरकार के आंकडों के मुताबिक मौजूदा खरीफ सत्र में सूबे में खासतौर पर अरहर तुअर के रकबे में 34.5 प्रतिशत का इज़ाफा दर्ज होने का अनुमान है और यह बढ़कर 7.79 लाख हेक्टेयर के स्तर पर पहुंच सकता है। प्रदेश में पिछले खरीफ सत्र में 5.79 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई की गई थी।

जिले में मौजूदा खरीफ सत्र में 11 लाख हेक्टेयर में उड़द और 2.5 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुवाई का अनुमान है। अन्य दलहनी फसलों का रकबा 22,000 हेक्टेयर के आसपास रह सकता है। प्रदेश में वर्ष 2015-16 के पिछले खरीफ सत्र में 17.19 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलें बोई गईं थीं।

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