बेल की 'गोमा यशी' किस्म से कर सकते हैं अच्छी कमाई, बंजर ज़मीन में भी होगी बंपर पैदावार

अगर आप भी ऊसर (बंजर) ज़मीन से कमाई करना चाहते हैं तो बेल के पौधे लगा सकते हैं। केन्द्रीय बागवानी परीक्षण केन्द्र, गोधरा ने बेल की ऐसी किस्में विकसित की हैं, जिनसे बंजर ज़मीन में भी अच्छा उत्पादन पाया जा सकता है।

Update: 2024-03-22 12:13 GMT

अगर किसी किसान के पास कोई ज़मीन ऊसर या पथरीली होती है, तो सबसे बड़ी समस्या होती है कि उस ज़मीन पर क्या खेती करें, जिससे अच्छी पैदावार मिल जाए। ऐसी ज़मीन में किसान बेल की थार दिव्य किस्म लगा सकते हैं।

गुजरात में कई किसान बेल की बागवानी लगाकर मुनाफा कमा रहे हैं।

बेल की गोमा यशी किस्म को किसी भी मिट्टी में लगाया जा सकता है। यह किस्म ऊसर, बंजर, कंकरीली ज़मीन पर भी लगाई जा सकती है, साथ ही जहाँ पानी निकलने की उचित व्यवस्था हो तो बलुई दोमट मिट्टी भी इसकी खेती के लिए सही होती है।

गुजरात के गोधरा स्थित केन्द्रीय बागवानी परीक्षण केन्द्र ने बेल की कई किस्में विकसित की हैं, इसमें से गोमा यशी किस्म भी एक है।


गोमा यशी, किसानों के बीच एक लोकप्रिय किस्म बन रही है, जो अपने कांटे रहित, कागजी खोल की मोटाई, उच्च गुणवत्ता वाले फलों और छोटे कद के पेड़ों के लिए जानी जाती है। इससे कम क्षेत्रफल में ज़्यादा पेड़ लगाए जा सकते हैं। प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके सिंह बताते हैं, "शुरुआत में इसे हमने गुजरात के किसानों के साथ ट्रायल किया था; अब यह कई राज्यों के लगभग 600 हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है।"

गोमा यशी किस्म का विस्तार गुजरात से आगे राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश तक हो गया है।

डॉ एके सिंह आगे कहते हैं, "बेल में कई औषधीय गुण होते हैं, इसके फल, फूल, तना, पत्ती, छाल सब किसी न किसी काम आता है।"

बेल फल आम तौर पर 15-20 रुपए प्रति फल के बीच बिकता है। 5 वें और 6 वें साल में किसान प्रति हेक्टेयर 75,000 से 100,000 रुपए तक कमा सकते हैं।

फल लगना दूसरे साल से शुरू हो जाता है, लेकिन आर्थिक उपज वर्षा आधारित अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में अंकुर फूटने के 5वें वर्ष के बाद मिलती है। अध्ययन के नतीजों से पता चला कि जैसे-जैसे पेड़ की उम्र बढ़ती गई, फल लगने और फल धारण करने की क्षमता भी बढ़ती जाती है। 9वें और 10वें साल में पेड़ों की छंटाई कर देनी चाहिए।

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