लखनऊ। जनेश्वर मिश्र पार्क के बाहर धरने पर बैठे किसानों ने मंगलवार तक मांगे न माने जाने पर पार्क के गेट पर ताला लगाए जाने की धमकी दी है। किसानों के समर्थन में धरने में शामिल होने पहुंचे क्षेत्रीय विधायक रविदास मेल्होत्रा ने किसानों की लड़ाई में साथ देने का वादा करते हुए कहा कि कुछ अधिकारी किसानों की राह का रोड़ा बने हुए हैं।
ग्वारी, उजरियांव समेत धरने पर बैठे तीन गाँवों के किसानों के घर की महिलाएं और बच्चे भी प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। चिलचिलाती गर्मी में सड़क पर बैठे किसानों ने कहा कि सरकार ने हमारी जमीनें लेकर हमें बेरोजगार कर दिया है। ग्वारी में रहने वाले मुनेश्वर (65 वर्ष) के एक हाथ की उंगलियां नहीं हैं। पांच बीघा जमीन पार्क में चली गई, थोड़ा-थोड़ा करके जो मुआवजा मिला वो भी इधर-उधर हो गया। जब कई किसान और नेता नारेबाजी कर रहे थे तब आंखों में आंसू भरे मुनेश्वर बताते हैं, “चार साल पहले एक बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई, कितना पैसा उसके पीछे खर्च हो गया। छोटे बेटे ने भैंस पाली है, उसी से घर चलता है। पांच बीघा पक्की जमीन थी। बाबू-अफसरों ने बेरोजगार कर दिया।”
मुनेश्वर की तरह ग्वारी गाँव के सी सकटू (60 वर्ष) बताते हैं, हम लोग नीची जाति (गौतम) से हैं इसलिए सुनवाई नहीं हो रही जबकि एक मुख्यमंत्री जी पहले ही बोले थे सबको मुआवजा दो, तबहि काम शुरू होगा पार्क लेकिन एलडीए वाले नहीं मान रहे।”
किसानों ने समर्थन में पहुंचे समाजवादी पार्टी के नेता और क्षेत्रीय विधायक रविदास मेहरोत्रा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, “ आपकी मांगे जायज हैं, आपको पूरा मुआवजा और वादे के मुताबिक नौकरियां नहीं मिल रही हैं। उन्होंने मामले को विधानसभा में उठाने के लिए प्रश्न लगा रखा है। मुख्यमंत्री जी भी आदेश दे चुके हैं लेकिन ये एलडीए वाले अड़गा डाल रहे हैं। इसलिए वो किसानों के लिए जरूरत हुई तो सड़क पर भी उतरेंगे।”
बिना किसी अधिकारी का नाम लिए उन्होंने कहा कि पार्क में कई नौकरियां निकलती हैं, जिस पर योग्यता के अनुसार किसानों को पहले तवज्जो मिलनी चाहिए लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं करते क्योंकि बाहर के लोगों को नौकरी पर रखने पर उन्हें घूस मिलती है।” धरने के अगुवा राम किशोर यादव ने कहा, “अगर मंगलवार तक हमें पूरा मुआवजा नहीं मिला तो हम पार्क के गेट पर ताला जड़ देंगे।”
देश का सबसे बड़ा पार्क बनाने के लिए इलाके के करीब 500 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किसानों का आरोप है कि अधिकतर किसानों को पूरा मुआवजा नहीं मिला है। न ही वादे के मुताबिक उन्हें पार्क में नौकरी दी जा रही हैं।