किसानों की आय बढ़ाने के लिए बुंदेलखंड में औषधीय खेती को बढ़ावा

Update: 2016-06-16 05:30 GMT
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लखनऊ। सूखे और प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे बुंदेलखंड के किसानों के लिए राहत की खबर है। प्रदेश सरकार बुंदेलखंड के किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि की अनुकूल जलवायु के हिसाब से फसलों की खेती कराएगी। छुट्टा जानवरों से फसल को नुकसान से बचाने के लिए औषधीय फैसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।  

प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के किसानों की आय बढ़ाने के लिए ‘स्टार्ट अप योजना’ शुरू करने जा रही है। इसके तहत क्षेत्र में दलहनी और तिलहनी फसल के अलावा बड़े पैमाने पर कम पानी वाली औषधीय खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार ने इस बार अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताते हुए कहा, “पांच बिंदुओं पर औषधी फसलों की खेती कराई जाएगी। 

पहल बुंदेलखंड और अन्ना प्रथा, दूसरा जलभराव वाले क्षेत्र, तीसरा सोडिक लैंड, चौथा उद्यानों के नीचे दोहरी फसल और पांचवा गन्ना उत्पादन क्षेत्र में गन्ने के साथ सहफसली करा किसानों की आय बढ़ाने की योजना तैयार कर रही है। इसके तहत बुंदेलखंड में किसानों समूहों का गठन किया जाएगा। किसान समूह कलस्टर में औषधीय फसलों की खेती कर सकेंगे।

करार पर ही होगी खेती

प्रदेश के एग्री क्लाइमेटिक जोन का ख्याल रख किसानों से औषधीय खेती कराई जाएगी। इसके लिए किसानों और पतंजलि और अन्य औषधि निर्माता कम्पनियों के बीच करार होगा। बुआई से पहले किसान और कम्पनी के बीच कौन सी फसल की बुआई कराना है और कम्पनी कितना उत्पाद लेगी इसका करार कराया जाएगा। इसमें उत्पाद की एमएसपी का विशेष ख्याल रखा जाएगा। 

इन औषधीय फसलों की होगी खेती

लेमन ग्रास, पामारोजा, खस, एलोवेरा, अश्वगंधा, तुलसी आदि औषधीय पौधों की खेती कराई जाएगी। जलभराव क्षेत्र में खस, वट और बृाम्ही और सेिडक लाइन में पामारोजा, लेमन ग्रास, अश्वगंधा की खेती कराई जाएगी।

रिपोर्टर - जसवंत सोनकर

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