किसानों को सशक्त बना रही है 'सेव इंडियन ग्रेन'

Update: 2016-04-06 05:30 GMT

लखनऊ। किसानों की जिदंगी बेहतर बनाने के लिए लखनऊ के रहने वाले अनुराग ने एक वेबसाइट बनाई है। जिसके जरिए किसान कृषि से संबंधित समस्याओं और चुनौतियों के हल पा सकते हैं। बड़ी संख्या में किसानों को इस फायदा भी हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से वापस लौटे अनुराग ने प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया मुहिम से किसानों को जोड़ने के लिए सेव इंडियन ग्रेननाम से एक वेबसाइट बनाई है, जहां वो क्लस्टर मैप की मदद से किसानों को फायदे-नुकसान से रू-ब-रू करा रहे हैं, ताकि अन्नदाता को सशक्त किया जा सके। साथ ही अनुराग ने फसल कटने के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए और किसानों को किराए पर स्टोरेज उपलब्ध करने के लिए काम कर रहे हैं, जिससे मंडी तक पहुंचने से पहले किसान अपनी फसलों को खराब होने से बचा सकें। इस वेबसाइट से कई पूर्व आईआईटी के छात्र भी जुड़े हैं, जो क्लस्टर मैप के लिए जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

अनुराग बताते हैं, 'भारत हर साल करीब 265 मिलियन मीट्रिक टन अनाज की पैदावार करता है फिर भी देश में कुपोषण फैला हुआ है। करीब 17 प्रतिशत जनसंख्या के पास तक खाना तक नहीं पहुंचता। इन समस्याओं से निपटने के लिए क्लस्टर मैप प्रक्रिया को बाजार में उतारा। क्लस्टर मैप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां कृषि के संबंधित चुनौतियों और संभावनाओं का सामना करने के लिए हल बताए जाते हैं। किसान बड़ी उम्मीद के साथ अपनी फसल तैयार करता है और उसे मंडी में बेचता है लेकिन इसके बावजूद ऐसी कई चीजें हैं, जिसके बारे में वो पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं।'

अनुराग के मुताबिक, 'क्लस्टर मैप के जरिए फसल पैदा करने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है और वो कहां पर अच्छी और वाजिब दाम में मिल रही हैं, इसके बारे में पता कर सकते हैं। जैसे फसल के लिए बीज कहां अच्छी गुणवत्ता में मिलेगा, कौन सी खाद किस फसल के लिए अच्छी रहेगी और उसके दाम कितने हैं, ये सब उन्हें मैप से पता चलेगा। यही नहीं, फसल तैयार होने के बाद उसके आगे के प्रक्रिया के बारे में भी पता कर सकेंगे। जैसे जिस गेहूं को किसान जितने दाम में मंडी में बेच रहे हैं, बाजार में उसके बने आटे की कितनी कीमत है। हमने क्लस्टर मैप में आंकड़ों के साथ संस्थानों का नाम, उसकी ई-मेल आईडी, पता और फोन नंबर भी दिए हैं। किसानों के साथ नीति बनाने वाले, आढ़त और मंडी के लोगों को भी इससे मदद मिलेगी। इससे वे पता कर पाएंगे कि किस जगह किस फसल की पैदावार ज्यादा है। किस जगह फसल बेचने पर मुनाफा ज्यादा होगा। फसल के लिए संग्रहण कहां मौजूद है और कितना मौजूद है और भी बहुत कुछ। इसके अलावा, कार्बन फुट प्रिंट (किसी सामान को मंगाने के लिए कितना ईंधन खर्च किया जा रहा है) को कम करने, खराब अनाज को बेचने वाले भोजन आपूर्तिकर्ता के बारे में जल्दी पता लगाने में भी क्लस्टर मैप

फायदेमंद है।

सरकार का फायदा भी होगा

अनुराग ने बताया, 'सरकार के लिए भी ये क्लस्टर मैप बहुत उपयोगी है। प्राकृतिक आपदा के बाद कई बार ऐसा होता है कि राहत सामग्री पीड़ित तक नहीं पहुंच पातीं। इसकी वजह खाद्य पदार्थ को एकत्रित करने में सरकार का वक्त के साथ काफी पैसा भी बर्बाद होता है। अब इन क्लस्टर मैप की मदद से सरकार के लोग पता कर पाएंगे कि कहां स्टोरेज मौजूद हैं और वहां खाने-पीने की क्या-क्या चीजें रखी गई हैं। इसी के साथ कोल्ड स्टोरेज की जानकारी भी मिल पाएंगी, जहां पर दवाइयां और खून को सुरक्षित रखा जा सकता है।

बाहरी देशों से आया विचार

अनुराग बताते हैं, 'जब मैं अमेरिका में था तो वहां ध्यान किया कि कई वेबसाइट्स पर क्लस्टर मैप की मदद पर आपदा प्रबंधन किया जाता है और पीड़ित स्थलों में मदद पहुंचाई जाती है। मुझे यह विचार अच्छा लगा और इस पर मैं अपने देश के लिए कुछ करना चाहता था। वापस आकर मैंने पाया कि जहां कृषि क्षेत्र देश की जीडीपी में 20 फीसदी हिस्सेदारी करता है, उसमें अब भी कई तरह की समस्याएं हैं। बस तभी से मैंने सेव इंडियन ग्रेन नाम की वेबसाइट बनाई है।'

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