कुछ अलग करने की चाह ने बनाया खास

Update: 2016-04-30 05:30 GMT
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लखनऊ। महिलाएं बदलते जमाने में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। घर की दहलीज के अंदर रहने वाली मानसिकता को बदलकर वो राजनीति, बिजनेस और नौकरी हर क्षेत्र में  भूमिका निभा रही हैं।

बायोटेक से इंजीनियर बनने वाली तूबा सिद्दीकी ने जब अपना बिजनेस शुरू करने की सोची तो उन्हें कई हालातों का सामना करना पड़ा। तूबा सिद्दीकी ने जब 2011 में लखनऊ के इंटीग्रल यूनीवर्सिटी से बायोटेक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की तो परिवार ने उन्हें कोई अच्छी नौकरी ढूंढ़ने की सलाह दी। लेकिन तूबा नौकरी मांगने के बजाए कुछ ऐसा काम करना चाहती थीं जिसमें वे और जरूरतमंद लोगों को नौकरी दे सकें। 

तूबा बताती हैं, “मैं चाहती थी कि मैं अपना कोई खुद का काम शुरू करूं। मैंने अपने घर वालों से दो साल का वक्त मांगा और कहा कि उसके बाद आप जो कहेगें मैं वही करूंगी।”

तूबा इस समय 'मिट्टी से' नामक हर्बल प्रोडेक्ट्स बनाने वाली अर्थकाइंड ईको प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की को-डायरेक्टर हैं। बैंगलोर में उनका मार्केटिंग ऑफिस है। उनका हर्बल उत्पाद आज पूरे देश में अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने अपनी फैक्ट्री में केवल महिलाओं को ही काम पर रखा है। 

तूबा बताती हैं, “पढ़ाई आपको डिग्री तो दिला सकती है लेकिन काम आपको अनुभव ही दिला सकता है। घाटा और नुकसान सहते हुए प्रोडेक्ट्स तो तैयार हो गये लेकिन अब दिक्कत ये थी इन्हें बेचा कैसे जाए। पहले तो ब्यूटी पार्लरों से सम्पर्क किया।”

तूबा बताती हैं कि मेरे बनाएं हुए लोगों को माल पसंद आया लेकिन ज्यादा खपत नहीं हो सकी । इसके बाद मैनें  सोशल मार्केटिंग साइट को माध्यम बनाया। धीरे धीरे काम बढ़ा और लखनऊ के चौक क्षेत्र में एक फैक्ट्री की नींव पड़ी। साउथ में इस तरह के हर्बल प्रोडक्ट्स की मार्केट नार्थ से बेहतर है, इसलिए मार्केटिंग आॅफिस बैंग्लोर में खोला गया। 

“इस काम में सात महीने का समय लग गया। ब्रांड का नाम रख गया 'मिट्टी से' ताकि तुरंत पता चल जाए कि हर्बल प्रोडक्ट है। को-डायरेक्टर बनते ही मैनें महिला कामगारों की संख्या बढ़ायी।”

फैक्ट्री में पर्सनल केयर के आइटम जैसे हेयर आयल, शैम्पू, सोप व स्किन क्रीम। होम केयर के आइटम जैसे डिटर्जेंट, फ्लोर क्लीनर व अरोमा थैरेपी में प्लांट्स एंड फ्लावर आयल, माइंड रिलेक्सेसन फेगरेंस, इत्र व गुलाब जल आदि पंद्रह से अधिक उत्पाद बनाये जाने लगे। 

“उत्पाद को बनाने में कच्चा माल मिलने में भी दिक्कतों को सामना करना पड़ा। ज्यादातर माल दिल्ली की मंडी से खरीदना पड़ता था। हम आगे किसानों को अच्छी प्रजाति के बीज, आर्गेनिक खाद और बेहतर सिंचाई आदि उपलब्ध कराकर अपने हिसाब से फूलों व हर्बल उत्पाद की खेती कराने का सोच रहे हैं।” वो आगे बताती हैं। 

तूबा का मानना है कि समाज में महिलाएं आगे आयें। वे चाहती हैं कि महिलाओं में भी आत्मविश्वास जागे। सफल वही होता है जो अपनी राह पर ईमानदारी से डटा रहता है। कामयाबी तो तभी मिलती है जब आप सही सोच के साथ आगे बढ़ते हैं। 

 रिपोर्टर - प्रेमेन्द्र श्रीवासतव

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