कुटीर उद्योग का रूप ले रहा कच्ची शराब का कारोबार

Update: 2016-05-22 05:30 GMT
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पाटन/बीघापुर (उन्नाव)। कच्ची शराब का काला कारोबार क्षेत्र में कुटीर उद्योग की शक्ल ले चुका है। जगह-जगह सजती शराब की दुकानों में पियक्कड़ों की मंडी लगती है। नशे में धुत नशेबाज आए दिन होने वाले विवादों का कारण बनते है। इन सब से आबकारी और पुलिस विभाग को शायद कोई सरोकार नहीं है। जिले में पुलिस और आबकारी विभाग की सक्रियता के बावजूद यह धंधा खुलेआम गुलजार है इसकी कोई तो वजह होगी।

मौजूदा समय में युवाओं से लेकर कल का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे तक कच्ची शराब की जद में आकर स्वयं बर्बादी के दलदल में फंसकर दम तोड़ रहे हैं। वहीं पुलिस व आबकारी विभाग के संरक्षण में कच्ची शराब के व्यवसायी इसे कुटीर उद्योग का रूप दे चुके हैं। सूत्रों की मानें तो पुलिस की अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा इन्हीं शराब व्यवसायियों से मिलता है।

बड़े स्तर पर चल रहे कच्ची शराब के कुटीर उद्योग की बानगी उन्नाव जिले के बिहार थाना व भगवन्तनगर चौकी के अन्तर्गत आने वाले अकवारा, न्यौती, केदारखेड़ा, नमाखेड़ा आदि दर्जनों गाँवों मे देखी जा सकती है। जहां सुबह से शाम तक अवैध शराब निर्माण की भट्टियां धधकती हुई मिलेंगी। इस काम में सैकड़ों लोग लगे हुए हैं। यहां निर्मित कच्ची शराब को पीने के लिए आस-पास के गाँवों के सैकड़ों लोग इन गाँवों में जाते हैं। 

कच्ची शराब का कुटीर उद्योग बन चुके इन गाँवो के वाशिंदे जगत राम बताते हैं, “शराब के अवैध कारोबार का यदि कोई विरोध करता है तो पुलिस शिकायत करने वाले को ही आबकारी एक्ट के तहत चालान कर देती है।”

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