लोकतंत्र का मतलब सिर्फ वोट देकर सरकार बनाना नहीं, जनभागीदारी भी है: मोदी

Update: 2016-06-26 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल की काली रात को याद करते हुए आज कहा कि देश के लोगों ने मुश्किल समय में लोकतंत्र को जी कर दिखाया और लोकतंत्र का मतलब सिर्फ वोट देकर सरकार बनाना नहीं, बल्कि अधिक से अधिक जनभागीदारी सुनिश्चित करना भी है।

मोदी ने मन की बात में कहा, ‘‘ कभी-कभी मेरे मन की बात का भी मजाक भी उड़ाया जाता है, बहुत आलोचना भी की जाती है, लेकिन ये इसलिये संभव है क्योंकि हम लोग लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्ध हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘25 जून की रात और 26 जून की सुबह हिंदुस्तान के लोकतंत्र के लिए एक ऐसी काली रात थी कि भारत में आपातकाल लागू किया गया। नागरिकों के सारे अधिकारों को खत्म कर दिया गया। देश को जेलखाना बना दिया गया। जयप्रकाश नारायण समेत देश के लाखों लोगों को, हजारों नेताओं को, अनेक संगठनों को, जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। आज जब मैं 26 जून को आपसे बात कर रहा हूं तब इस बात को हम न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, हमारी ताकत लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है. इस प्रतिबद्धता को हमें आगे बनाये रखना है, और ताकतवर बनाना है।''

मोदी ने कहा, ‘‘भारत के लोगों की ये ताकत है कि उन्होंने लोकतंत्र को जी के दिखाया है। अख़बारों पर ताले लगे हों रेडियो एक ही भाषा बोलता हो, लेकिन दूसरी तरफ देश की जनता मौका पड़ते ही लोकतांत्रिक शक्तियों का परिचय करवा दे। ये बातें किसी देश के लिए बहुत बड़ी शक्ति का रुप हैं। भारत के सामान्य मानव की लोकतान्त्रिक शक्ति का उत्तम उदाहरण आपातकाल में प्रस्तुत हुआ है और लोकतान्त्रिक शक्ति का वो परिचय बार-बार देश को याद कराते रहना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा कहता हू कि लोकतंत्र का मतलब ये नहीं होता कि लोग मतदान करें और पांच साल के लिए आपको देश चलाने का कांट्रैक्ट दे दें। जी नहीं, मतदान करना तो लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन और भी बहुत सारे पहलू हैं। सबसे बड़ा पहलू है जनभागीदारी। जनता का मिजाज, जनता की सोच, और सरकार जितना जनता से ज्यादा जुड़ती हैं, उतनी देश की ताकत ज्यादा बनती है। जनता और सरकारों के बीच की खाई ने ही हमारी बर्बादी को बल दिया है। मेरी हमेशा कोशिश है कि जनभागीदारी से ही देश आगे बढ़ना चाहिए।''

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