लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र भले ही आए दिन छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे हों लेकिन चुनाव होने की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने के लिए जहां एलयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो दूसरी ओर एलयू प्रशासन का कहना है कि एलयू तो छात्रसंघ चुनाव करवाने के लिए तैयार है, लेकिन छात्रसंघ चुनाव पर लगे स्टे को समाप्त किए जाने का प्रकरण अभी तक लंबित है। यूनिवर्सिटी में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव वर्ष 2006 में हुए थे।
एलयू में चुनाव का मामला हाईकोर्ट में लगे एक स्टे की वजह से रुका है। इसके अंतर्गत यूनिवर्सिटी को वर्गीकरण दाखिल करना है, जिससे चुनाव को हरी झंडी मिल सके। वर्गीकरण के तहत कोर्ट को यह बताना होगा कि कौन सी यूनिविर्सिटी किस मॉडल को अपनाते हुए छात्रसंघ चुनाव कराएगी। तीन अक्टूबर, 2012 को एलयू के छात्र हेमंत सिंह ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी कि चुनाव के लिए प्रत्याशी की उम्र एकेडमिक सेशन की शुरूआत से देखी जाए, जबकि संविधान के अनुसार उम्र को नॉमिनेशन की तिथि पर देखा जाता है। उसी समय हाईकोर्ट में चुनाव से जुड़ा एक और मामला भी आया था।
कानपुर के पीपीएन कॉलेज का यह मामला दिसंबर 2011 का था, जिसमें उसने कहा कि विवि का वर्गीकरण होने पर ही वह चुनाव करा सकता है। जब हेमंत सिंह का मामला कोर्ट गया तो उसको कानपुर वाले केस के क्लब कर दिया गया। जिसके बाद चुनाव पर स्टे हो गया। अब जब तक स्टे नहीं हटता छात्रसंघ चुनाव नहीं कराये जा सकते। वहीं दूसरी ओर इस संबंध में समाजवादी छात्रसभा के कार्यकर्ता अंकित बाबू ने कहा, “एलयू प्रशासन छात्रसंघ चुनाव कराने में रुचि नहीं ले रहा है।”
उन्होंने कहा कि एलयू प्रशासन के अनुसार यदि यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ की शुरुआत हुई तो अव्यवस्थाएं और गुंडागर्दी बढ़ेगी और आए दिन छात्रसंघ अपनी मनमानी करेगा । और प्रशासन को परेशान होना होगा। जबकि सही बात यह है कि एलयू प्रशासन इसलिए छात्रसंघ चुनाव नहीं चाहता है कि जो मनमानियां एलयू प्रशासन कर रहा है उन पर रोक लग जाएगी। उन्होंने कहा कि कभी प्रोफेसर छात्राओं का शोषण करते हैं तो कभी काउंसलिंग में धांधली करते हैं।
रिपोर्टर - मीनल टिंगल