मालेगांव मामला: एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को दी क्लीन चिट

Update: 2016-05-13 05:30 GMT
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मुंबई। साल 2008 के मालेगांव धमाके के मामले में पूरा 'यू-टर्न' लेते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप हटा लिए हैं जबकि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित सभी 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त मकोका कानून के तहत लगाए गए आरोप भी हटाकर उनके मामले को हल्का बना दिया गया है। 

एनआईए ने दावा किया कि जांच के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ ''पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए''। जांच एजेंसी ने कहा कि उसने आरोप-पत्र में कहा है कि ''उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा चलाने लायक नहीं है।''  

29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान मालेगांव में नमाज अदा कर निकल रहे लोगों के दोहरे बम धमाकों की चपेट में आ जाने से सात लोग मारे गए थे। मालेगांव धमाकों के मामले की छानबीन में कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। इस धमाके के लिए हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को जिम्मेदार माना जाता रहा है। 

इस मामले की शुरुआती जांच मुंबई एटीएस के संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे ने की थी। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में करकरे मारे गए थे। साल 2011 में यह मामला एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस ने 16 लोगों पर मामला दर्ज किया था। लेकिन मुंबई की एक अदालत में 20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को 14 आरोपियों के खिलाफ ही आरोप-पत्र दाखिल किए गए। 

पुरोहित और प्रज्ञा ने बंबई उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कई अर्जियां दाखिल कर आरोप-पत्र और मकोका के तहत आरोप लगाए जाने को चुनौती दी थी। 

साध्वी के अलावा शिव नारायण कलसांगडा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा और धान सिंह चौधरी के खिलाफ दर्ज आरोप हटा दिए गए हैं।

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