लखनऊ। इक्कीस साल की प्रीति रावत की दुनिया अचानक बदल गई। गोमती नगर स्थित ग्वारी में उसके 10 बाई 12 इंच के कमरे में खुशी का माहौल है। उनके माता-पिता गर्व महसूस कर रहे हैं। हो भी क्यों न आखिर एक काम वाली बाई की बेटी अब बिजनेस की जानकारी हासिल करने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जो जा रही है।
प्रीति को कम्यूनिटी कॉलेज इनिशियेटिव प्रोग्राम के तहत कैलीफोर्निया के सैंटारोजा कॉलेज में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की एक साल की ट्रेनिंग के लिए चुना गया है। गुरुवार को उसे इसकी औपचारिक जानकारी मिल गई।
प्रीति इग्नू कॉलेज से बीए की डिस्टेंस लर्निंग कर रही हैं। इसी के साथ वह ‘दीदीस फूड’ नाम टिफिन सर्विस में पार्ट टाइम जॉब भी करती हैं। प्रीति ने बताया, “दिसंबर के आखिर में मैंने इस प्रोग्राम के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद मुझे कई लिखित परीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। कैलीफोर्निया से कई टेलीफोनिक राउंड भी हुए। इसके बाद वहां की टीम ने लखनऊ आकर पर्सनल इंटरव्यू भी लिया और तब कहीं जाकर इसमें मेरा सेलेक्शन हुआ है”। प्रीति अगस्त महीने में कैलीफोर्निया जा रही है। इसके लिए वह काफी तैयारी कर रही है।
हालांकि सब कुछ प्रीति के लिए इतना आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि उनकी मां एक घरेलू नौकर हैं। वह दूसरों के घरों में काम करती हैं। और पिता माली का काम करते हैं। प्रीति से छोटी दो बहनें भी हैं जिनके लालन-पालन और कुछ अन्य दिक्कतों की वजह से कुछ वक्त प्रीति को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद 2004 में उन्होंने गोमती नगर स्थित स्टडीहॉल स्कूल के अंतर्गत चलने वाले प्रेरणा स्कूल में एडमीशन लिया।
इस स्कूल में पढ़ाई करते हुए प्रीति ने बाकी विषयों के साथ इंग्लिश की भी जानकारी ली और आज वह इंग्लिश बोलने में इतनी सक्षम हो गई हैं कि विदेश में पढ़ाई करने जा रही हैं। प्रीति बताती हैं, “मेरी मां ने हमेशा प्रोत्साहन दिया लेकिन पिता को मेरी पढ़ाई अच्छी नहीं लगती थी। उन्हें नशे की लत है जिस वजह से घर पर अक्सर कलह भी होती थी। हालांकि आज मेरी सफलता पर उन्हें भी गर्व है”।
मां के लिए खरीदना है घर
प्रीति ने बताया कि यह ट्रेनिंग उनके लिए बेहद मददगार साबित होगी जिसके बाद वह वापस आकर एमबीए की पढ़ाई करेगी। प्रीति का सपना अपनी मां के लिए एक घर खरीदना है ताकि वह उन्हें 10 बाई 12 इंच के छोटे कमरे से कहीं सुकून वाली जगह ले जा सकें। प्रीति की मां राजेश्वरी कहती हैं कि वह खुश हैं कि उनकी बेटी विदेश जा रही है। उन्होंने बताया, “मैंने जिनको यह खबर बताई तो वे उल्टा मेरी जासूसी करने लगे कि यह कैसे हुआ और तुम्हारी बेटी विदेश कैसे जा सकती है? उनकी बातें ताने जैसी लगती हैं, शायद उन्हें यह खबर अच्छी नहीं लगी होगी क्योंकि हम गरीब हैं न इसलिए, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अच्छा बोलते हैं बेटी को दुआएं देते हैं”।
रिपोर्टर - शेफाली श्रीवास्तव