मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व घूमना हुआ महंगा, पर्यटकों को चुकानी होगी दोगुनी फीस

नए सीजन में टाइगर रिजर्व पार्क घूमने और जंगली जीवों को देखने के लिए थोड़ा ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। 1 अक्टूबर से मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुल जाएंगे। लेकिन मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए टाइगर रिजर्व घूमना और बाघों का दीदार महंगा पड़ेगा।

Update: 2021-08-30 06:36 GMT

पन्ना टाइगर रिजर्व में रास्ता पार कर रहे बाघ को निहारते पर्यटक। (फाइल फोटो)

पन्ना (मध्यप्रदेश)। प्रकृति के सानिध्य में रहकर वन्य प्राणियों खासकर बाघों का दीदार करने की इच्छा रखने वाले लोगों को यह खबर मायूस कर सकती है। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के सभी छह टाइगर रिजर्व में आगामी 1 अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू होने पर प्रवेश शुल्क में इजाफा हुआ है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) मध्यप्रदेश आलोक कुमार ने विधिवत आदेश जारी कर टाइगर रिजर्व में प्रवेश शुल्क पूर्व की तुलना में भारतीय पर्यटकों के लिए दो गुना तथा विदेशी पर्यटकों के लिए चार गुना कर दिया है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि प्रीमियम दिवस यानी अवकाश के दिनों में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में प्रवेश शुल्क बढ़ाया गया है। पूर्व में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए एक जिप्सी (6 पर्यटक) का शुल्क 1500 रुपये था, जिसे बढ़ाकर प्रीमियम दिवस पर भारतीय पर्यटकों के लिए 3000 तथा विदेशी पर्यटकों के लिए 6000 रुपये निर्धारित किया गया है। जबकि सामान्य दिनों में यह राशि भारतीयों के लिए 2400 तथा विदेशियों के लिए 4800 रुपये होगी।

जिप्सी का किराया पूर्ववत 2500 रुपये व गाइड चार्ज 480 रुपये रहेगा। शर्मा ने बताया कि बफर क्षेत्र में प्रवेश शुल्क पहले जैसा ही है, यहां कोई वृद्धि नहीं की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से बफर क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा। जिससे कोर क्षेत्र में पर्यटकों का जो दबाव बढ़ रहा था, उसमें कमी आएगी। मालूम हो कि बफर में सफर (ट्रैवल इन बफर) योजना के तहत मानसून सीजन में पहली बार प्रदेश में 80 से अधिक बाघों वाले क्षेत्रों को पर्यटन के लिए खोला गया था।

पीटीए के क्षेत्र संचालक शर्मा बताते हैं, "पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर सहित हरसा बफर में मानसून पर्यटन उत्साहजनक रहा है। अकोला बफर में बाघों की अच्छी साइटिंग होने से यहां का आकर्षण बढ़ा है तथा पर्यटक निरंतर यहां आ रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, अकोला की ही तर्ज पर दूसरे ऐसे वन क्षेत्र जहां बाघों का रहवास है, वहां पर्यटन शुरू किया जायेगा।

पर्यटकों के लिए नई रेट लिस्ट

अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया वाइल्डलाइफ टूरिज्म

पर्यटन व्यवसाय से जुड़े श्यामेन्द्र सिंह उर्फ़ बिन्नी राजा प्रदेश सरकार के इस निर्णय से नाखुश हैं। वे गांव कनेक्शन को बताते हैं कि कोरोना के चलते जब अर्थव्यवस्था नाजुक दौर में है, उस समय यकायक इस तरह से शुल्क में वृद्धि करना ठीक नहीं है। इससे पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव होगा। उन्होंने कहा, "शुल्क में वृद्धि धीरे-धीरे करना चाहिए, यह समय तो बिल्कुल उचित नहीं है। जिन लोगों ने बुकिंग कर ली है, उनका तो पूरा बजट ही बिगड़ जाएगा। प्रवेश शुल्क में जिस तरह से वृद्धि की गई है, उससे तो अब वाइल्डलाइफ टूरिज्म सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है। मध्यम वर्ग के लोग तो टाइगर रिजर्व भ्रमण की बात अब सोच भी नहीं सकते। क्योंकि भारतीय पर्यटकों के लिए सिर्फ एक ट्रिप का खर्च 6 हजार रुपये आयेगा।"

श्यामेन्द्र सिंह बताते हैं कि कोविड-19 के कारण पिछले एक-डेढ़ साल से खजुराहो के होटल खाली पड़े हैं, रखरखाव का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है। मंडला स्थित रिसॉर्ट जो पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटन पर आश्रित हैं, वे भी सूने पड़े हैं। ऐसी स्थिति में प्रवेश शुल्क बढ़ाए जाने का निर्णय किसी के भी हित में नहीं है। इससे न तो जिप्सी संचालकों को कोई लाभ होगा और ना ही गाइडों का हित होगा।

उन्होंने आगे कहा, "प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व पिछड़े इलाकों में हैं, जहां ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। इनकी रोजी रोटी पर्यटन से ही चलती है, जो प्रभावित होगी। उनका कहना है कि टाइगर रिजर्व प्रकृति की पाठशाला हैं। सरकार को राजस्व देने के लिए ये नहीं बनाये गये। इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षित और जागरूक कर उन्हें वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील बनाना है ताकि संरक्षण में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।"

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शुल्क वृद्धि से निराश हैं टूरिस्ट गाइड

टाइगर रिजर्व के भ्रमण हेतु प्रवेश शुल्क बढ़ने से टूरिस्ट गाइड भी निराश और मायूस हैं। पन्ना में उत्कृष्ट टूरिस्ट गाइड का पुरस्कार प्राप्त कर चुके मनोज कुमार द्विवेदी ने गांव कनेक्शन को बताया, "सिर्फ प्रवेश शुल्क में वृद्धि की गई है, जिप्सी का किराया व गाइडों को मिलने वाली राशि यथावत है, उसमें कोई वृद्धि नहीं हुई। जाहिर है कि प्रवेश शुल्क बढ़ने से पर्यटकों की संख्या घटेगी, जिसका असर जिप्सी चालकों और गाइडों पर पड़ेगा।" 

पन्ना या दूसरे टाइगर रिजर्व में गाइड से लेकर ड्राइवर तक ज्यादातक स्थानीय होते हैं, जिनकी रोटी-रोटी पर्यटन से ही चलती है। द्विवेदी के मुताबिक दो रेट होने से कन्फ्यूजन भी पैदा होगा, अब हम पर्यटकों को रेट नहीं बता पाएंगे। वो कहते हैं, "आमतौर पर कामकाजी लोग छुट्टी के समय ही घूमने आते हैं और उस समय रेट दोगुना कर दिया गया है। यह ऐसा समय है जब कोरोना के कारण विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे, तब शुल्क बढ़ाने के बजाय पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑफर देना चाहिए, लेकिन उल्टा हो गया। इससे स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।" गाइड पुनीत शर्मा भी शुल्क वृद्धि के इस निर्णय से हैरान हैं और कहते हैं कि जब पर्यटक ही नहीं आएंगे तो हमारी रोजी रोटी कैसे चलेगी?

पन्ना में बाघ बढ़ रहे लेकिन विदेशी पर्यटक घटे

टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहां के जंगलों में 70 से अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। तकरीबन 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले पन्ना टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किलोमीटर है। अभी हाल ही में यहां पर विलुप्त प्राय फिशिंग कैट के रहवास की भी पुष्टि हुई है। चूंकि बीते दो सालों से कोरोना के चलते विदेशी पर्यटकों की संख्या एकदम घट गई है, ऐसी स्थिति में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी भारतीय पर्यटकों पर ही टिकी है। यदि इनकी संख्या में गिरावट आई तो इसका असर स्थानीय लोगों पर पड़ेगा।

पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र का भ्रमण करने वाले पर्यटकों पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2018-19 में 28931 भारतीय व 6548 विदेशी पर्यटक आये। जबकि 2019-20 में यहां 23938 भारतीय व 4963 विदेशी मेहमानों ने भ्रमण किया। वर्ष 2020-21 में भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़कर 32588 हो गई, जबकि विदेशी पर्यटकों का आंकड़ा दो अंकों में सिमटकर सिर्फ 48 रह गया। कोरोना महामारी के चलते विदेशी पर्यटक न के बरारबर हैं। ऐसे में कम राजस्व आ रहा है। ये शुल्क वृद्धि भारतीय पर्यटकों की जेब जरुर ढीली करेगी।

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