‘नातरा-झगड़ा प्रथा’ के ख़िलाफ आवाज़ उठाने वाली महिलाओं की दबंग सेना है 'लाल चुनर'

अगर महिला विवाह से बाहर निकलना चाहती है, या बाल विवाह को मानना नहीं चाहती तो एक पुरानी प्रथा के मुताबिक महिला को अपने पहले पति और उसके परिवार को बतौर मुआवज़ा कई लाख रुपये देने पड़ते हैं। लाल चुनर की टीम ने इन स्थितियों से जूझ रही 276 महिलाओं को बचाया है और 450 एफआईआर दर्ज करने में मदद की है।

Update: 2023-11-16 11:45 GMT

राजगढ़, मध्य प्रदेश। लाल साड़ी पहने और हाथों में तख्तियाँ लिए सैकड़ों महिलाएँ राजगढ़ के ग्रामीण इलाकों में अक्सर सड़कों पर घूमती नज़र आ जाएँगी। दरअसल ये लाल चुनर सेना से जुड़ी महिलाएँ हैं जो महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के ख़िलाफ लोगों को आगाह करने और उन्हें हिंसा के ख़िलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

‘लाल चुनर’ की सेना में शामिल कई महिलाएँ इस तरह के दुर्व्यवहार की शिकार रही हैं। आज वे सभी मध्य प्रदेश के गाँवों में पितृसत्ता और महिलाओं को प्रताड़ित करने वाली सामाजिक प्रथाओं के ख़िलाफ लाल झंडा लहराते हुए घूम रही हैं।

‘नातरा झगड़ा’ प्रथा मध्य भारत में आदिवासी और अन्य हाशिये पर रहने वाले समुदाय में प्रचलित एक पुरानी रस्म है, जिसके खिलाफ लाल चुनर 2009 से लड़ रहा है। इस सेना की नींव भी इसी साल रखी गई थी।


फिलहाल 927 सक्रिय सदस्यों वाली ये महिला-टीम इस प्रथा से जूझने वाली 276 महिलाओं के बचाव में आगे आई है और उनके पुनर्वास में मदद की है। लाल चुनर से जुड़ी स्वयंसेवक मध्य प्रदेश और पड़ोसी राजस्थान में सक्रिय हैं।

‘नातरा झगड़ा’ एक पुरानी प्रथा है जो धन उगाही का एक शोषणकारी साधन बन गई है। परँपरागत रूप से, अगर कोई महिला अपनी बचपन में तय की गई शादी को तोड़ना चाहती है या अपनी शादी से खुश न होने की स्थिति में किसी अन्य पुरुष से शादी करना चाहती है तो उसे और पूर्व पति के परिवार को भारी रकम मुआवज़ा के नाम पर देनी होती है, जिसे बोलचाल की भाषा में 'झगड़ा' कहा जाता है।

राजगढ़ के गाँवों में स्थानीय ग्राम पँचायतें अक्सर लड़कियों के परिवारों को पूर्व पति के परिवार को झगड़ा राशि देने का आदेश देती हैं, जो कई लाख रुपये तक होती है; कई बार तो ये रकम 50 लाख तक पहुँच जाती है।

कहने का मतलब है कि अगर महिला एक अपमानजनक विवाह से बाहर निकलना चाहती है और किसी अन्य पुरुष से दोबारा शादी करना चाहती है, तो भी उसे अपने पूर्व पति के परिवार को लाखों रुपये चुकाने होंगे।

लाल चुनर की संस्थापिका मोना सुस्तानी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “यह एक सदियों पुरानी प्रथा है जो महिलाओं और उनके परिवारों के शोषण का कारण बनती है; इसके चलते अक्सर झगड़े और मारपीट की घटनाएँ होती रहती हैं।''

सुस्तानी ने बताया, “इसके अलावा अगर किसी महिला को उसके पति ने छोड़ दिया है और वह किसी और से शादी करना चाहती है जो उससे शादी करना चाहता है, उसे उसके पूर्व पति को बड़ी रकम चुकानी पड़ती है। यह एक तरह से मासूम लड़कियों की तस्करी जैसा मामला है, जिन्हें मवेशियों की तरह बेच दिया जाता है।'' सुस्तानी एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं।

राजगढ़ जिले के कई गाँवों में नातरा-झगड़ा के शिकार लोग मिल जाएँगे। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के नारी गाँव की एक युवती ने अपनी पहचान न बताने की शर्त पर बताया कि वह इस प्रथा का शिकार हो चुकी है। जब वह एक बच्ची थी, तब उसकी शादी नातरा झगड़ा प्रथा के अनुसार तय कर दी गई थी। बड़े होने पर वह अपने पति के साथ, उसके गाँव खजला में रहने के लिए चली आई।

लेकिन ससुराल वालों के दुर्व्यवहार के चलते उसे अपने माता-पिता के घर लौटने के लिए मज़बूर होना पड़ा। वह अपनी शादी तोड़ कर दोबारा शादी करना चाहती थी। मगर ऐसा करने का मतलब था कि उसे अपने पहले पति को 5 लाख रुपये का मुआवज़ा देना होगा।

नातरा-झगड़े के दंश को झेलने वाली 31 साल की पीड़िता ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैंने किसी और के साथ खुशी से अपना जीवन जीने की सारी उम्मीद खो दी थी; लेकिन फिर मुझे लाल चुनर के बारे में पता चला और मेरी उम्मीदें फिर से जाग गई।''

लाल चुनर संगठन ने बिना कोई 'झगड़ा' चुकाए अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए उसकी काफी मदद की। फिलहाल वह राजगढ़ के एक गाँव में विवाहित जीवन जी रही है।

गवर्मेच मॉडल कॉलेज राजगढ़ में समाजशास्त्र विभाग की सहायक प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि नातरा-झगड़ा अक्सर तस्करी का मुखौटा बन जाता है।


सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, “कुछ मामलों में लड़की एक आदमी से दूसरे आदमी की पत्नी बन जाती है; दरअसल यहाँ पत्नी की खरीदारी की जाती है और यह सब परंपरा की आड़ में होता है। इस तरह की घटनाओं में कुछ कमी आई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।”

शोषण की इस प्रथा से सरकारी अधिकारी भी अनजान नहीं हैं। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनीता यादव ने गाँव कनेक्शन को बताया, “यह प्रथा न सिर्फ आदिवासी आबादी के बीच बल्कि पिछड़े वर्गों (एससी और ओबीसी) के बीच भी प्रचलित है; लाल चुनर जैसे स्थानीय गैर सरकारी संगठन लड़कियों को उत्पीड़न से बचाने में मददगार साबित हुए हैं। ”

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा, “गैर सरकारी संगठनों के अलावा, सरकार आँगनवाड़ी या आशा कार्यकर्ताओं पर भी निर्भर करती है जो अक्सर ऐसे मामलों की जानकारी प्रशासन को देते हैं और उसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाती है; लोग इस प्रथा के प्रति उतने बेपरवाह नहीं हैं जितने एक दशक पहले थे।''

सुस्तानी के अनुसार, लाल चुनर ने अब तक 276 महिलाओं को बचाया है और उनके पुनर्वास में मदद की है। लाल चुनर से जुड़ी महिलाएँ न सिर्फ लड़कियों को शोषणकारी विवाह से बचाती हैं बल्कि उन्हें उनकी पसंद के व्यक्ति से दोबारा शादी करने में भी मदद करती हैं। समूह इस बात का खास ध्यान रखता है कि फिर से घर बसाने वाली इन महिलाओं को उनके पिछले पतियों द्वारा परेशान न किया जाए।

सुस्तानी के साथ ऐसी कई महिलाएँ जुड़ी हैं जो कभी नातरा झगड़ा की शिकार थी। उन्होंने कहा, " आज ये सभी महिलाएँ जीवन में अच्छा कर रही हैं और सम्मानजनक जीवन जी रही हैं।"

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सुस्तानी कहती हैं, “जब भी हमारे सदस्य हमें किसी ऐसे मामले के बारे में बताते हैं जहाँ लड़की के परिवार को अपने पति को छोड़ने के लिए पैसे देने के लिए मज़बूर किया जा रहा है, तो हम हस्तक्षेप करते हैं। हमारे कार्यकर्ताओं की एक टीम गाँव का दौरा करती है और पति के परिवार को उन पर मामला दर्ज़ करने की चेतावनी देती है।''

सुस्तानी ने बताया, “हमारी लाल चुनर सेना के बारे में राजस्थान और मध्य प्रदेश के गाँवों में काफी लोग जानते हैं; जब लोग हमें मध्यस्थता करते हुए देखते हैं तो आम तौर पर वे लड़की के परिवार को परेशान करना बँद कर देते हैं।''

राजगढ़ में एक पत्रकार वेल तनवीर वारसी के अनुसार, लाल चुनर टीम के प्रयासों की वजह से घरेलू हिंसा और तस्करी के मामलों में 450 एफआईआर दर्ज़ की गई हैं।

इस प्रथा की शिकार एक महिला ने हमें बताया, “बचपन में ही मेरी शादी हो गई और मेरी पढ़ाई रुक गई; मैं अपने पति को छोड़ना चाहती थी लेकिन पंचायत ने मेरे परिवार को मेरे पति को झगड़े के रूप में बारह लाख रुपये देने का आदेश दिया। लाल चुनर की मदद से मैंने इस आदेश के ख़िलाफ अपील की और मैं अपने माता-पिता के साथ रह रही हूँ और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हूँ।”

धीरे-धीरे महिलाएँ अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जान रही हैं और लाल चुनर उनका हर कदम पर साथ देता है। वे बिना डरे अपनी बात रख रही हैं। नातरा झगड़ा मामलों में जो पुलिस शिकायतें दर्ज की गई हैं, उसमें आरोपी व्यक्तियों को सजा भी मिली है।

जिला अदालत में सरकारी वकील जेपी शर्मा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे यह बताते हुए काफी अच्छा लगता है कि जिन मामलों में मैंने महिलाओं का उत्पीड़न करने वाले पुरुषों पर मुकदमा चलाया है, उनमें से अधिकांश को उनके अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है; इन लोगों पर मामला दर्ज़ कराने में लाल चुनर सँगठन काफी मददगार रहा है।''

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