मध्य प्रदेश: पहली बार एमएसपी में खरीदी जाएगी ग्रीष्म कालीन मूंग

मध्य प्रदेश में पहली बार ग्रीष्म कालीन यानी जायद की मूंग की खरीदी की जाएगी। इसके लिए किसानों का पंजीयन शुरु कर दिया गया है। खरीदी 15 जून से होगी। अनुमान है कि 6.56 मिट्रिक टन मूंग की खरीदी की जाएगी।

Update: 2021-06-08 12:58 GMT

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी पंजीयन का शुभारंभ करते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री कमल पटेल। फोटो: ट्वीटर

प्रदेश में अब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की फसल भी बेच सकेंगे, 8 जून यानी आज किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा गर्मी के दिनों में उगाई जाने वाली जायद की मूंग की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी पंजीयन का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुभारंभ किया।

मध्य प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल के मुताबिक ग्रीष्म कालीन मूंग की 4 लाख 77 हज़ार हेक्टेयर में बुवाई हुई है। अनुमान है कि पहली बार 6 लाख 56 हज़ार मिट्रिक टन खरीदी की जाएगी। आगामी 15 जून से खरीदी शुरुवात होगी।

इन जिलों में होगी मूंग खरीदी

ग्रीष्म कालीन मूंग का उपार्जन केवल 25 जिलों में किया जाएगा। किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्रालय ने 7 जून के आदेश में बताया कि प्रदेश के 25 जिलों में मूंग और 12 जिलों में उड़द की फसल का उपार्जन किया जाएगा। जिन जिलों में मूंग उपार्जित की जानी है उनमें जबलपुर, कटनी, बालाघाट, सिवनी, मंडला, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, रीवा, इंदौर, खरगौन, बड़वानी, खंडवा, देवास, आगर मालवा, मुरैना, भिंड, गुना, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल और छिंदवाड़ा शामिल है। उड़द उपार्जन के लिए जबलपुर, कटनी, बालाघाट, सिवनी, मंडला, नरसिंहपुर, रीवा , दमोह, आगर मालवा, छिंदवाड़ा, सिंगरौली और डिंडोरी ज़िला को शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री से किसानों का संवाद

न्यूनतम समर्थन मूल्य (7196 रुपए) में मूंग और उड़द के लिए किसान पंजीयन के शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से संवाद भी किया। होशंगाबाद जिले के किसान राम भरोसे बसोटिया ने मुख्यमंत्री को बताया कि पिछले 8 साल से तीसरी फसल के रूप में मूंग बो रहे हैं। 8 हेक्टेयर जमीन है । पूरी जमीन में फसल बोई है। प्रति हेक्टेयर 8 कुंतल उत्पादन हुआ है। हरदा जिले के किसान ललित पटेल ने मुख्यमंत्री को बताया कि संयुक्त परिवार में 16 हेक्टेयर जमीन है। पूरे में मूंग बोई थी। लगभग 15 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ है। 60 दिन की इस फसल में अपेक्षाकृत कम लागत आती है।


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