'कोल्हू' से मूंगफली तेल तैयार करके ग्रामीण महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, अमेरिका-मलेशिया से मिल रहे आर्डर

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में महिलाओं के एक स्वयं सहायता समूह ने स्थानीय स्तर पर होने वाली एक खास किस्म की मूंगफली के तेल का कारोबार शुरु किया था, इस तेल की आसपास तो मांग है कि एक कंपनी के साथ मिलकर विदेश भी भेजा जाने लगा है।

Update: 2021-10-07 13:06 GMT

मूंगफली की तेल निकालने वाली कोल्ड प्रेस मशीन। 

शिवपुरी (मध्य प्रदेश)। अपने विशेष स्वाद के कारण मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के करैरा अंचल में पैदा होने वाली मूंगफली लोगों को खूब भाती है। यहां की देशी मूंगफली देशभर में 'करैरा के काजू' के रूप में प्रसिद्ध है, स्थानीय लोगों के मुताबिक इसका स्वाद कुछ-कुछ काजू जैसा होता है। इस मूंगफली से तैयार तेल देश ही नहीं विदेशियों को भी भा रहा है।

करैरा इलाके में तैयार तेल अमेरिका, मलेशिया और दुबई भी भेजा जाने लगा है। सबसे ख़ास बात यह हैं कि इस तेल को यहां की ग्रामीण महिलाएं तैयार करती हैं। जिसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती हैं। इस तेल को आधुनिक कोल्हू (मशीन से चलने वाला) से तैयार किया जाता है। हाल ही में यहां से करीब 400 लीटर तेल विदेश निर्यात किया गया है।

पीपलखेड़ा गांव की फूलवती लोधी (35 वर्ष) एक साल से इस समूह से जुड़ी है। उनके परिवार के पास एक एकड़ जमीन है, जिससे गुजारा चलता था। इसके अलावा उनका परिवार मजदूरी करता था। उनक

"खेती के साथ हमारा परिवार मजदूरी करता है, रोजाना 200 रुपए की मजदूरी मिलती थी लेकिन अब महीने में 3 हजार रुपये तक की अलग से आमदनी हो जाती है।" फूलवती गांव कनेक्शन को फोन पर बताती हैं।

फूलवती की तरह सिया लोधी (42 वर्ष) के परिवार के पास भी एक एकड़ से थोड़ी ज्यादा (5-6 बीघा) जमीन है। वो भी मजदूरी करती थी लेकिन अब उऩ्हें मूंगफली के तेल में आजीविका का नया जरिया मिला है।

मूंगफली के काम से महिलाएं ही नहीं उनके परिवार के पुरुषों को भी आमदनी का अतिरिक्त जरिया मिला है। फूलवती लोधी के बेटे प्रसेन्द्र लोधी (22 वर्ष) खेती के साथ ही मशीन चलाने में महिलाओं की मदद करते हैं। उनके मुताबिक मूंगफली की तेल के काम से उन्हें 5000 से 6000 रुपये अलग से आमदनी होती होने लगी उन्हें भरोसा है, जिस तरह तेल की मांग बढ़ी है, आमदनी भी बढ़ेगी।"

कोल्ड प्रेस ऑयल मशीन (कोल्हू)

आजीविका मिशन बना मददगार

मध्य प्रदेश में शिवपुरी के खनियांधाना विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पीपलखेड़ा गांव की ग्रामीण महिलाएं अपनी जीविका चलाने के लिए एक समय जीवनयापन करने के लिए खेती के कामों और मजदूरी पर निर्भर थी। लेकिन अब यहां की दर्जनों महिलाएं कोल्ड प्रेस मूंगफली तेल निर्माण से जुड़ी हैं, जिससे उन्हें महीने की 3 से 4 हजार की अतिरिक्त आमदानी हो रही है। आजीविका मिशन के तहत इन महिलाओं का आय को बढ़ाने के लिए जोर दिया जा रहा है।

आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक कृषि प्रमोद श्रीवास्तव गांव कनेक्शन को बताते हैं, ''यह ग्रामीण महिलाओं का 'आनंद मूंगफली तेल उत्पादक समूह' है, जिसमें करीब 12 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। समूह से लगभग 65 लोगों को रोजगार मिल रहा है। जिसमें मूंगफली उत्पादन करने वाले किसान भी हैं। इसके अलावा समूह को तेल निकलने के बाद बची हुई खली से भी अतिरिक्त आमदानी हो रही है।"

आधुनिक कोल्हू से निकाला जाता है तेल

पुराने समय में कोल्हू बैल से चलता था, ये महिलाएं जिस कोल्हू से मूंगफली की पेराई करती हैं वो बिजली पर चलता है लेकिन उसकी रफ्तार काफी कम रहती है।

श्रीवास्तव आगे बताते हैं, "आधुनिक मशीन (कोल्हू) 15-20 आरपीएम (राउंड पर मिनट) पर चलता है। मशीन दक्षिण भारत से मंगवाई गई है, जिसकी कीमत करीब 1.90 लाख रुपए है। मशीन के जरिए समूह की महिलाएं रोजाना 40 लीटर तेल निकाल लेती हैं। इस तरह महीने में औसतन 10 क्विंटल तेल का उत्पादन हो जाता है। धीरे-धीरे यह उत्पादन और बढ़ाया जाएगा।"

फिलहाल ये तेल दो तरह की पैकिंग में उपलब्ध है। जिसमें एक लीटर का दाम 240 रुपये और 5 लीटर का 1180 रुपये है। समूह को महीने में इस काम से 33000 से 40000 रुपए की इनकम होती है। जिसमें प्रत्येक महिला के खाते में औसतन 3-4 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी होती है। जिसे आने वाले समय में बढ़ाकर 8 हजार रुपये महीने करने का लक्ष्य रखा गया है।

अमेरिका, मलेशिया के लोगों को भाया

समूह से आसपास के 50 से अधिक किसान जुड़े हैं, जो समूह को देशी मूंगफली उपलब्ध कराते हैं। पहले समूह की महिलाएं इसकी छंटाई करती है। इसके बाद आधुनिक कोल्हू मशीन के जरिए तेल निकाला जाता है। इसी तेल की बाद में महिलाएं पैकिंग कर देती है।

आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक कृषि प्रमोद श्रीवास्तव ने गांव कनेक्शन को बताया, "हाल ही में इस तेल को भोपाल स्थित मां रेवा वैदिक फूड रिसर्च एंड प्रोड्युसर कंपनी की मदद से अमेरिका और मलेशिया समेत दूसरे देशों में निर्यात किया गया है। अमेरिका में 90 लीटर और मलेशियाया में 45 लीटर तेल भेजा गया है।"

इस संबंध में बात करने पर मां रेवा वैदिक फूड रिसर्च एंड प्रोड्युसर कंपनी के को -फाउंडर वारूश सिंह बताते हैं, "अमेरिका, मलेशिया के अलावा जर्मनी और दुबई में सैंपल भेजा गया है। जल्द वहां से आर्डर मिलने की संभावना है। ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद की विदेश में अच्छी मांग है।" वारुण सिंह के मुताबिक उनकी कंपनी इस फील्ड में करीब 5 साल से काम कर रही है। इससे पहले वो आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार अन्य चीजों को विदेश भेजते रहे हैं।

देशी मूंगफली की ख़ास पहचान

शिवपुरी में बड़े पैमाने पर मूंगफली की खेती होती है। श्रीवास्तव के मुताबिक देश में मूंगफली के औसत उत्पादन में शिवपुरी सबसे आगे है। यहां के खनियांधाना, पिछोड़, करैरा और नरवर इलाकों में बड़े पैमाने पर मूंगफली उगाई जाती है। यह देशी मूंगफली की किस्म होती है जो खाने में बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। जो देशभर में 'करैरा के काजू' के रूप में प्रसिध्द है। जिसका खाने में बिल्कुल काजू जैसा स्वाद होता है।"

मूंगफली की इसी देशी किस्म से तेल तैयार किया जाता है। हालांकि कुछ सालों से यहां देशी किस्म के अलावा बटाना किस्म की मूंगफली किसानों द्वारा उगाई जा रही है। जिसका उत्पादन देशी मूंगफली की तुलना 3 गुना ज्यादा होता है।

चीन के बाद भारत मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक देश

दुनियाभर में मूंगफली उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है तो चीन पहले नंबर पर है। देश में गुजरात मूंगफली उत्पादन में पहले नंबर पर है। इसके अलावा राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक प्रमुख मूंगफली उत्पादक प्रान्त हैं। देश में मूंगफली की खेती खरीफ और रबी दोनों सीजन में होती हैं। हालांकि, खरीफ सीजन में कुल उत्पादन का 75 फीसदी उत्पादन होता हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, साल 2019-20 में मूंगफली का उत्पादन अनुमान 99.52 लाख टन था, वहीं 2020-21 में मूंगफली उत्पादन अग्रिम अनुमान बढ़कर 101.19 लाख टन है।

भारत ने 2020-21 में लगभग 6.38 लाख टन मूंगफली का निर्यात किया था, जिससे 5381 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा भारत को मिली। भारत प्रमुख रूप से इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, रूस, यूक्रेन, चीन नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात को मूंगफली निर्यात करता है।

एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) मूंगफली निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल कर रहा हैं। एपीडा, पीनटडॉटनेट के जरिए मूंगफली क्रेताओं का पंजीकरण करने के साथ ही बैच प्रसंस्करण, एफ्लाटॉक्सीन विश्लेषण, स्टफिंग और निर्यात प्रमाणपत्र जारी कर रहा है।

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