मनरेगा के अर्न्तगत तैयार होगी जैविक खाद

Update: 2016-05-17 05:30 GMT
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एटा। आजीविका के साथ अब मनरेगा किसानों को जैविक खेती की भी राह दिखाएगी। विष मुक्त खेती के लिए उन्हें प्रशिक्षण देकर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में मदद दी जाएगी। किसानों को इसके लिए मजदूरी भी मिलेगी। साथ ही तैयार जैविक खाद सेहतमंद फसलों के उत्पादन और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का जरिया बनेगी। 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में नई पहल करते हुए सरकार ने इस वर्ष से वर्मी कंपोस्ट उत्पादन को भी शामिल किया है। उद्देश्य है कि किसानों को फसलों में हानिकारक रासायनिक खादों के प्रयोग से दूर रखा जाए। पिछले कुछ वर्षों से किसानों में वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग को लेकर रुझान बढ़ा है।अब वे जैविक खाद के सकारात्मक असर की बात भी कहते हैं।

हालांकि ऐसे किसानों की संख्या अभी कम है। चुनिंदा किसान ही इसे तैयार कर बेच रहे हैं। इसे खरीदकर इस्तेमाल करना अन्य किसानों के लिए महंगा पड़ता है। अब सरकार सीधे-सीधे किसानों को ही यह खाद तैयार करने में निपुण बनाएगी। मनरेगा श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर उनकी जमीन पर ही उत्पादन शुरू कराया जाएगा। शुरुआती तौर पर प्रशिक्षण के अलावा प्रशासन की ओर से उन्हें केंचुए भी उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रति किसान के हिसाब से छोटे स्तर पर शुरू किए जा रहे इस कार्यक्रम से सरकार की मंशा है कि वे कम से कम अपने खेतों के लिए तो जैविक खाद तैयार कर ही लें।

मिलेगी मजदूरी

एक ओर जहां मनरेगा श्रमिकों को मुफ्त में वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण और उसे तैयार करने करने का मौका मिलेगा, वहीं उन्हें योजना के तहत मजदूरी का भी भुगतान किया जाएगा। 61 दिन में तैयार होने वाली खाद के लिए उन्हें इतने दिनों का पारिश्रमिक 174 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से किया जाएगा।

विशेषज्ञ करेंगे मदद

मनरेगा या विकास विभाग के पास किसानों को वर्मी कंपोस्ट के प्रशिक्षण का कोई जरिया नहीं है, इसलिए विभाग कृषि विभाग का सहारा लेगा। साथ ही उन अनुभवी लोगों की मदद ली जाएगी, जो पहले से निजी रूप से वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन का कार्य कर रहे हैं।

रिपोर्टर - बासु जैन

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