मनरेगा से मजदूरों का मोहभंग, कई महीनों से नहीं मिला पैसा

Update: 2016-03-14 05:30 GMT
गाँवकनेक्शन

उन्नाव। अपनी दसवीं सालगिरह मना चुकी महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना को लापरवाही का दीमक लग चुका है। आंकड़ों पर गौर करे तो योजना की हालत दिन पर दिन बद से बदतर होती जा रही है। जिले में योजना की जो हालत है वह कुछ ऐसी ही तस्वीर खींचती नजर आ रही है। मजदूरों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य के साथ शुरू हुई ये योजना अब मजदूरी का भुगतान पाने के लिए उन्हें खून के आंसू रुला रही हैं।

नवाबगंज के मजदूर रामराज ने बताया, ''मजदूरी के बाद भी कई महीने से पैसा नहीं मिला है। जिला मुख्यालय के अधिकारियों से भी पैसा दिलाने की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं हुई है।''

वर्तमान पर निगाह दौड़ाई जाए तो पांच करोड़ रुपये का भुगतान मनरेगा खातों में धन होने बावजूद फंसा हुआ है। अपनी मजदूरी का भुगतान पाने के लिए हजारों जाबकार्ड धारक पिछले एक माह से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। इसके बाद भी मजदूरों की यह परेशानी अधिकारियों को नहीं दिख रही है। जिसका नतीजा यह है कि गाँव में मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने का सब्जबाग दिखाने वाली योजना के जाबकार्ड धारकों का परिवार भुखमरी के कगार पर है।

मालूम हो कि मनरेगा नियमो के तहत काम करने के 15 दिन के अंदर मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान हो जाना चाहिए, लेकिन ब्लॉकों में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। विभिन्न ब्लॉकों में काम करने के एक माह बाद भी श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिल पाई है। ब्लॉक से लेकर जिला मुख्यालय तक के अफसरों से गुहार लगा चुके हैं। ऐसे में थक हार कर अब उनका इस योजना से मोहभंग हो रहा है। कुछ ब्लॉकों की कई ग्राम पंचायतों में मजदूरों के इंकार के बाद विकास का पहिया थम चुके है।

ऐसे ब्लॉकों की फेहरिस्त में सबसे पहला नम्बर है नबाबगंज ब्लॉक का जहां सबसे अधिक भुगतान फंसा है। यहां डेढ़ करोड़ रुपये मजदूरी का भुगतान अटका है। मजदूरों को हो रही समस्या को देखते हुए कुछ उम्मीद लगायी जा रही थी जिस पर ब्लॉक में तैनात बीडीओ के घूसखोरी के आरोप में जेल जाने के बाद पैसा मिलने की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। अब स्थिति ये है कि कोई अधिकारी यहां का चार्ज लेने को तैयार नहीं हो रहा, ऐसे में फिलहाल ब्लॉक में काम रुका पड़ा है। ब्लॉक अधिकारी के न होने से भुगतान के साथ अन्य कार्य नहीं हो पा रहे हैं। दूसरे नंबर पर हसनगंज विकासखंड है।

मियागंज, फतेहपुर चौरासी, गंजमुरादाबाद में भी लाखों रुपए का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। मनरेगा उपायुक्त श्रम एवं रोजगार राजेश कुमार मिश्र ने बताया, ''ब्लॉक अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए जा चुके हैं। लापरवाही के कारण कुछ भुगतान फंस गया है। मजदूरों को जल्द भुगतान कराने के प्रयास किए जा रहे  हैं। एक-दो दिन में मजदूरों के खातों में पैसा पहुंचने की उम्मीद है।''

लापरवाही के चलते लटका भुगतान

मजदूरों को समय से भुगतान न मिल पाने की बड़ी वजह ब्लॉक स्तर पर बरती जाने वाली लापरवाही है। समय पर एमआईएस फीडिंग और एफटीआे (फंड ट्रांसफर आर्डर) नहीं हो रहा है। इसके अलावा विभाग की वेबसाइट भी आए दिन पूरे समय साइट बंद ही रहती है। इसका परिणाम यह हो जाता है के भुगतान लंबित होता जाता है।

रिपोर्टर - दीप कृष्ण शुक्ला

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