मर्सीडीज हिट एंड रन केस: दिल्ली की अदालत 12 अगस्त को सुनेगी आरोपों पर दलीलें
नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली की एक अदालत ने आज उस किशोर के खिलाफ अभ्यारोपण पर दलीलें सुनने के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की जिसने पिछले महीने अपने पिता की मर्सीडीज कार चलाकर 32 वर्षीय एक विपणन कार्यकारी को कथित रुप से कुचल दिया था।
अदालत 12 अगस्त को इस लड़के की अपील पर भी दलीलें सुनेगी जिसमें उसने उस पर बालिग की तरह सुनवाई करने के किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के आदेश को चुनौती दी है। चार अप्रैल की घटना के चार दिन बाद वह बालिग हो गया था।
अभियोजक ने पहले दलील दी थी कि किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के संशोधित प्रावधानों के मुताबिक सत्र अदालत बोर्ड के पास इस मामले को वापस नहीं भेज सकती। यदि वह समझती है कि इस लड़के पर बालिग की तरह सुनवाई नहीं हो तो उसे खुद ही बोर्ड के पीठासीन अधिकारी की तरह इस मामले की सुनवाई करनी होगी।
अपील में लड़के ने दावा किया है कि अधिक से अधिक उस पर लापरवाही से वाहन चलाकर किसी को मौत तक पहुंचा देने के कथित अपराध को लेकर मामला दर्ज किया जाता, यह गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं है जिसके लिए उस पर मामला दर्ज किया गया है।
अपील के अनुसार लड़के के पिछले अपराध यातायात उल्लंघन का है न कि हादसों का। अतएव यह भादसं की धारा 304ए को धारा 304 में बदलने का आधार नहीं है। जेजेबी ने चार जून को आदेश दिया था कि लड़के को बालिग की तरह सुनवाई का सामना करना होगा क्योंकि उसका कथित अपराध जघन्य है।
यह किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं संरक्षण) कानून, 2015 में संशोधन के बाद से अपने तरह का पहला मामला है। इस संशोधन में बोर्ड को बच्चे के जघन्य अपराधों के मामलों को सत्र अदालत में भेजने का प्रावधान है। पुलिस ने 26 मई को लड़के के खिलाफ जेजेबी में गैर इरादतन हत्या को लेकर आरोपपत्र दायर किया था। इसके तहत अधिकतम दस साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
शुरु में भादसं की धारा 304ए के तहत मामला दर्ज किया गया था लेकिन बाद में लड़के पर गैर इरादतन हत्या के कथित अपराध का मामला दर्ज किया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि चार अप्रैल को उत्तरी दिल्ली में लुडलो कैसल स्कूल के समीप लड़के ने अपने पिता की मर्सीडीज को प्राणघातक ढंग से चलाकर सिद्धार्थ को कुचल दिया। उस समय शर्मा सड़क पार करने की कोशिश कर रहे थे।
उसके खिलाफ अंतिम रिपोर्ट भादसं की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या) 279 (सार्वजनिक सडक पर इतनी लापरवाही से वाहन चलाना कि किसी की जान खतरे में पड़ जाए) और 337 (किसी हरकत से ऐसी चोट पहुंचना जो इंसानी जान को खतरे में डाल दे) के तहत दायर की गयी थी। बोर्ड ने 26 अप्रैल को लड़के को जमानत दी थी जिसने प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने के लिए राहत मांगी थी।