मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट्स समय से पूरे होंगे: आलोक रंजन

Update: 2016-07-03 05:30 GMT
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लखनऊ। अपने दो वर्षों के चुनौती भरे कार्यकाल को पूरा करने के बाद पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार के तौर पर जिम्मेदारियां संभाल भी ली हैं, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी है मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजनाओं को समय से पूरा करना।

“मुख्यमंत्री जी को नीतिगत मामलों में सलाह देना मेरा काम होगा, साथ ही प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ग्रुप (परियोजना निगरानी समूह) की अध्यक्षता मैं करता रहूंगा। इन परियोजनाओं को मॉनीटर करने के साथ-साथ विकास के एजेंडे को और शासन  की नीतियों को लागू करवाऊंगा।” मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने ‘गाँव कनेक्शन’ से कहा बताया। 

प्रदेश के नए मुख्य सचिव की नियुक्ति पर आलोक रंजन ने कहा, “इस पर फैसला मुख्यमंत्री के विदेश से वापस आने के बाद ही होगा।” हालांकि चुनावी साल में नए मुख्य सचिव की चुनौतियों पर बोले, “नए मुख्य सचिव के लिए यह साल बहुत महत्वपूर्ण है, सभी योजनाओं को पूरा कराना है, इसके लिए सभी को लगना पड़ेगा।”

अपने मुख्य सचिव के तौर पर किए गए कार्य को काफी संतोषजनक मानते हए आलोक रंजन ने कहा, “मुझे काफी अच्छा लगा कि मुख्यमंत्री जी का जो विजन था उसे मैं ज़मीन पर उतार पाया। लखनऊ मेट्रो, गोमती रिवर फ्रंट और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे जैसे 25 ऐसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स हैं जिनकी हमने लगातार मॉनीटरिंग की, अब यह इस स्थिति में हैं कि अक्टूबर और नवंबर में पूरे हो जाएंगे। इन्हें तय समय पर पूरा कराने पर हमारा पूरा जोर रहेगा। इससे प्रदेश में विकास को गति मिलेगी।”

पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने वर्ष 1976 में आईएएस की नौकरी शुरु की थी, अपने 38 वर्ष की प्रशासनिक नौकरी के अनुभवों को याद करते हुए कहा, “बहुत रोचक मौके आए जब कभी ऐसा लगा कि यह होना चाहिए था, पर नहीं हुआ। बहुत काम करने में मन लगा, जो काम करने का उत्साह पहले दिन था, वह आखिर दिन तक बना रहा।”

सरकार की योजनाओं का लाभ गाँव में बैठे एक किसान या मजदूर को दिलाना आलोक रंजन की प्राथमिकता रही है। “मैंने योजनाओं को लागू करने पर ही ज्यादा ध्यान दिया था, यही जरूरी चीज होती है, कितनी ही अच्छी योजनाएं बनी हों। पर अगर यह उसी तरीके से ज़मीन तक नहीं पहुंची, और सही लाभार्थी को लाभ नहीं मिला, तो वह बेकार हो जाती हैं।” आलोक रंजन ने कहा, “मेरा जोर था कि फाइल से निकल कर अधिकारी जमीन पर उतरें और देखें कि योजना सही से लागू हो रही है कि नहीं। मुझे खुशी है कि अफसरों की टीम ने मेरा साथ दिया। यही कारण है कि हर योजना ज़मीन पर उतरी। पहली बार ऐसा है कि गाँव में काम दिखाई पड़ रहा है।” 

पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मुख्यसचिव के रुप में कार्यकाल काफी महत्वूपर्ण रहा है उनके मुख्य सचिव बनने के बाद योजनाओं ने तेजी पकड़ी और उन पर समयबद्ध तरीके से काम हुआ। इन योजनाओं की मॉनीटरिंग करने के लिए अफसरों का एक समूह बनाया गया। जिसकी अध्यक्षता आलोक रंजन खुद करते रहे हैं।

हालांकि राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच समय-समय पर दिखने वाली खींचतान उन्होंने कहा, “देखिए नौकरशाहों को देखना होगा कि लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिनिधि ही बॉस होता है, राजनीतिक प्रतिनिधि जो नीतियां बनाता है, नौकरशाही की जिम्मेदारी उन्हें लागू करने की होती है। अगर सभी अपने-अपने क्षेत्र को समझें और काम करें तो कहीं कोई दिक्कत नहीं होती है।” 

प्रदेश में कानून-व्यवस्था को सुधारने पर उन्होंने कहा, “इसके लिए जिलाधिकारियों और एसएसपी को सीधे जिम्मेदार बनाया गया है। पुलिस का आधुनिकीकरण और उसकी रफ्तार तेज हो, इसके लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है, डायल-100 इसका बड़ा उदाहरण है।”

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