नई दिल्ली (भाषा)। प्रदूषण फैलाने वाले दशक भर पुराने 2.8 करोड़ वाहनों को सड़क से हटाने के लिए सरकार की प्रस्तावित वाहन नीति से हर साल 11,500 करोड़ रुपए का इस्पात कबाड़ पैदा होगा और इससे हमारे इस्पात के आयात का बोझ कम होगा।
सरकार को अपने प्रस्तावित स्वैच्छिक वाहन बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (वी-वीएमपी) से बड़ी मात्रा में इस्पात कबाड़ के निकलने की उम्मीद है। इस कार्यक्रम के तहत लोगों को अपने पुराने वाहन देने के बदले नये वाहन की कीमत का आठ-दस प्रतिशत प्रोत्साहन के रुप में देने की पेशकश की गई है।
सरकार ने अपनी इस प्रस्तावित नीति में कहा है, ‘‘पर्यावरण और उर्जा दक्षता लाभों के अतिरिक्त वी-वीएमपी के तहत हर साल घरेलू स्तर पर 11,500 करोड़ रुपयों का इस्पात कबाड़ पैदा होगा। इनके लिए संगठित क्षेत्र में इस्पात कबाड़ को बारीक करने वाले केंद्रों की स्थापना की जाएगी। इस कुल मात्रा में करीब 50 प्रतिशत इस्पात कबाड़ उत्पादन केवल पुराने बसों और ट्रकों से होगा।'' इसमें कहा गया है कि इससे भारत का आयात बोझ कम होगा और यह विदेशी मुद्रा भंडार को बेहतर बनाएगा।
इस नई नीति का निर्माण सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से किया है और इसके लिए भागीदारों से सुझाव एवं टिप्पणियां मांगी हैं। वाहनों की उम्र और प्रदूषण के बीच स्थितियों का आकलन करने पर यह बात उजागर हुई कि मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन कुल वाहनों के बेड़े में मात्र ढाई प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं लेकिन प्रदूषण के मामले में उनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है।
सरकार ने कहा है कि सामान्यत: 10 साल या प्रदूषण मानक भारत स्टेज-1 से पहले के वाहन कुल वाहन बेड़े में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं लेकिन प्रदूषण मानकों में बड़े बदलावों के चलते नए वाहनों की अपेक्षा यह 10-12 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।