ऑनलाइन टिकट कराने पर यात्रियों के साथ हो रहा धोखा

Update: 2016-03-28 05:30 GMT
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लखनऊ। अगर आप रोडवेज बस से सफर करने के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो जरा सतर्क हो जाइए। क्योंकि फर्जी बेवसाइट ऑनलाइन टिकट बुकिंग में यात्रियों को लूट रही हैं। यह भी हो सकता है कि आपके पैसे भी खर्च हो जाएं और आप सफर भी न कर पाएं। रोडवेज बसों में फर्जी ऑनलाइन टिकट बुकिंग का धंधा तेजी से चल रहा है। 

रविवार को कैसरबाग बस अड्डे पर बेवसाइट के जरिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग के तीन मामले सामने आए। यात्री जब बस पकडऩे के लिए पहुंचे तो उन्हें पता चला कि जिस बस में उन्होंने अपना टिकट बुक कराया है असल में वह बस संचालित ही नहीं हो रही है। 

लखनऊ से मेरठ जाने के लिए दोपहर ढाई बजे मेरठ के निजी कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही दो छात्राएं प्रियंका यादव व मालविका शाह कैसरबाग बस अड्डे पहुंचीं। दोनों मेरठ जाने वाली बस में सवार भी हो गईं, लेकिन परिचालक ने टिटक मांगा तो उन्होंने मेक माई ट्रिप वेबसाइट से टिकट बुक कराने की बात कही।

उसने अपने मोबाइल पर टिकट बुकिंग का कन्फर्म मैसेज दिखाया। जिसमें बाकायदा पीएनआर नंबर सीट नंबर बुक था। बस का बस अड्डे से डिपार्चर टाइम भी ढाई बजे का पड़ा हुआ था। इतना ही नहीं मैसेज में साफ तौर पर यूपीएसआरटीसी का हेल्पलाइन नंबर और बस अड्डे का नंबर भी दिया हुआ था। लेकिन परिचालक ने बस की ऑनलाइन बुकिंग न होने की बात कहते हुए बस में बिठाने से मना कर दिया। जिसके बाद प्रियंका यादव ने बस स्टॉप के अधिकारियों से इसकी शिकायत की। 

वहां के अधिकारियों ने जब ऑनलाइन बुकिंग में मेरठ जाने वाली बस दर्ज है कि नहीं इसकी भी जानकारी जुटाई तो पता चला लेकिन कि जो बस ढाई बजे कैसरबाग बस स्टेशन से जाती है उस बस की ऑनलाइन बुकिंग हो ही नहीं सकती है। सिर्फ शाम साढ़े सात बजे मेरठ जाने वाली स्लीपर बस का ही ऑनलाइन टिकट कराया जा सकता है। 

प्रियंका ने बस अड्डे पर रोते हुए बताया, ‘’अगर मैं सुबह नहीं पहुंची तो मेरा एग्जाम छूट जाएगा। वेबसाइट पर कन्फर्म टिकट मिला था।’’ कैसरबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अमर नाथ सहाय ने कहा, ‘’मेरे संज्ञान में पहली बार ऐसा मामला सामने आया है। बसों की ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने वाली बेवसाइट की शिकायत उच्च प्रबंधन से करेंगे और ऐसी फर्जी बेवसाइट्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।’’

इनके दोनों छात्राओं के अलावा विवेक नाम का एक और छात्र का ऐसा ही मामला सामने आया। क्योंकि प्रिंयका और विवेक के सोमवार सुबह पेपर थे इसलिए क्षेत्रीय प्रबंधक ने किसी तरह उनके जाने की व्यवस्था कराई।

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