यकीन मानिए ये तस्वीरें आपका बचपन... दादी-नानी के घर की यादें ताजा कर देंगी
अगर आप को भारत के आदिवासी गांवों में जाने का मौका नहीं मिला है तो ये तस्वीरें जरुर देखिए… आदिवासियों के घर सजाने और उनकी कलाकारी आपका मन मोह लेगी।
लखनऊ। भारत के गांव तेजी से बदल रहे हैं। कार, बाइक और दूसरी सुविधाएं पहुंच रही हैं। गांवों के घरों में भी टाइल्स लगाई जा रही हैं। बावजूद इसके गांव अपने अंदर काफी कुछ अब भी पुराना समेटे हुए हैं। वो परंपरागत चीजें, वो पुराने तरीके, वो देसीपन आज भी कुछ गांवों में मिल जाएगा। वो मिट्टी के घर, वो हाथ वाली आटा चक्की... और ऐसा बहुत कुछ जो आप कभी बचपन में दादी-नानी के घरों में देखा करते होंगे।
गांव कनेक्शन के सीनियर सब एडिटर चंद्रकांत मिश्रा उत्तर प्रदेश के गांवों से आप के लिए लाएं हैं कुछ तस्वीरें, जिन्हें देखकर आपको अपना बचपन याद आ जाएगा। अगर शहर में रहते हैं वो गांव भी जहां गर्मियों की छुट्टियां बिताने जाया करते थे। नीचे दी गए तस्वीरें श्रावस्ती जिले से 70 किमी दूर विकास खंड सिरसिया के आदिवासी गांव रनियापुर की हैं। नेपाल बॉर्डर पर बसा ये गांव अपने अंदर काफी कुछ समेटे हुए हैं। घर कच्चे हैं, चीजें पुरानी हैं लेकिन आपका मन मोह लेंगी।
और ये गांव की दरी... चटाई कहते हैं इसे। चटाइयां खजूर और ताड़ की पत्तियों की बनाई जाती हैं। कई जगहों पर मूंज (घास) की भी चटाई ग्रामीण इस्तेमाल करते हैं।
और इन्हें बोलते हैं डलिया... खपरैल पर रखी इन टोकरियों को मूंज से बनाया जाता है.. मूंज एक प्रकार की घास होती है, जिसकी चौड़ी पत्तियों को रंगकर सजाया संवारा जाता है। गांव के लोग इनका वैसे ही इस्तेमाल करते हैं जैसे शहर के लोग प्लास्टिक की टोकरी का।