उन्नाव फोटो स्टोरी: तीनों दलित परिवारों की लड़कियों के घर और गांव की वो तस्वीरें जो कई सवाल करती हैं
उन्नाव में 2 लड़कियां की मौत की गुत्थी सुलझाते हुए पुलिस ने दावा किया है एकतरफा प्रेम में पड़ोस के गांव के एक युवक ने तीनों लड़कियों को जहरीला पानी पिलाया। आरोपी सिर्फ एक लड़की को मारना चाहता था लेकिन तीनों ने वो पानी पी लिया था।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जो 3 लड़कियां सरसों के खेत में अचेत और बदहाल अवस्था में मिली थीं, तीनों एक ही परिवार से तालुक रखती थीं। बेहद गरीब दलित परिवारों की ये लड़कियां रोज की तरह बुधवार को भी अपने पशुओं के लिए चारा लेने गई थीं, जिन दो लड़कियों की वारदात के दिन ही मौत हो गई थी वो आपसी में बुआ-भतीजी थीं, जबकि एक जिसका कानपुर में इलाज चल रहा है वो परिवार की सदस्य थी।
इस सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो आरोपियों को शुक्रवार की शाम गिरफ्तार किया है। आरोपी ने कबूल किया है कि वो तीन से से एक लड़की को कीटनाशक मिला पानी पिलाकर मारना चाहता था लेकिन तीनों लड़कियों ने वो पानी पी लिया, जिन्हें वो मना नहीं कर पाया। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने कबूल किया है कि लॉकडाउन के दौरान उसकी इनमें से एक लड़की से जान पहचान हुई थी लेकिन लड़की ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और फोन नंबर तक नहीं दिया था, जिसके बाद उसने हत्या की साजिश रची।
नीचे तस्वीरों में देखिए बबुरहा गांव में लड़कियों का घर, वो खेत और गांव
नीचे दिख रही तस्वीर उस सरसों के खेत की है जहां पर तीनों लड़कियां 17 फरवरी को अचेत मिली थीं। परिजनों के मुताबिक उनके हाथ दुपट्टे से बंधे थे लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं मिले हैं। पुलिस अधीक्षक उन्नाव ने 17 फरवरी की रात बताया था कि लड़कियां जहां मिलीं वहां काफी झाग पड़ा था। पोस्ममार्टम रिपोर्ट में उनके पेट में जहर के अंश मिले थे लेकिन मौत की सही वजह पता नहीं चल पाई थी इसलिए बिसरा जांच के लिए भेजा गया था
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उन तीन में से एक लड़की का ये घर है। दरवाजे की हाल उनकी गरीबी को बता रही है। तीनों लड़कियां दलित परिवार की थीं,जो मेहनत मजदूरी करके गुजर बसर करते थे।
एक मृत लड़की की मां, जो मीडिया, पुलिस नेता सबसे अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांग रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी लेकिन उनकी बेटी के साथ अनहोनी की गई है।
दोनों लड़कियों के शव बृहस्तपितवार की शाम को ही गांव पहुंच गए थे, लेकिन परिजन और स्थानीय लोगों के भारी विरोध के चलते उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया। रातभर शव उनके घरों में रखे रहे। परिजन बिलखते रहे। सुबह पुलिस के आलाधिकारियों ने पहुंचकर परिजनों को समझाया जिसके बाद परिजन बच्चियों के शवों को दफनाने को राजी हुई। इस दलित परिवार में भी अविवाहित लड़कियों के शवों को दफनाने की परंपरा है।
शुक्रवार की सुबह अधिकारियों से वार्ता के बाद दोनों लड़कियों के परिजन शवों को दफनाने को राजी तो हुए। लेकिन इस दौरान उनमें से कई कइयों की तबीयत खराब हो गई। एक लड़की के पिता वहीं बेसुध हो गए, जिन्हें इलाज की जरुरत पड़ी। नीचे फोटो में एक मां को संभालती आसपड़ोस की महिलाएं।
एक पीड़ित परिवार का घर.. गांव में ज्यादातर दलित परिवार गरीब ही हैं। जो थोड़ी सी खेती, मजदूरी और पशु पालन आदि के जरिए परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
नीचे की तस्वीर में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से उलझती पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले, पूर्व सांसद का आरोप था कि पुलिस उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दे रही है। जबकि पुलिस का कहना था आप एक बार मिल आई हैं। उन्नाव के बबुरहा गांव में पुलिस और प्रशासन के अलावा स्थानीय नेताओं की भारी भीड़ है। कई बड़े नेता भी मौके पर पहुंचे हैं। इस दौरान कई बार जोरदार नारेबाजी भी हुई।
तीन लड़कियों के साथ हुई घटना से आसपास के गांवों में भी हड़कंप मचा हुआ है। गांव की महिलाएं अपनी बेटियों को लेकर चिंता जता रही हैं। कई महिलाओं ने कहा कि उनके घरों की बेटियां भी चारा लाने मजदूरी करने के लिए बाहर जाती हैं ऐसे में अब उन्हें अनहोनी का डर रहेगा।