समानता के संदेश देते हैं नगर कीर्तन के पंज प्यारे, तस्वीरों में देखिए नगर कीर्तन

Update: 2018-06-19 07:33 GMT

पटियाला( पंजाब)। रंग बिरंगे कपड़ों से सजे, ढाल तलवार लिए, भजन गाते हुए सिक्खों का जत्था आपने भी देखा होगा, ये है नगर कीर्तन की झांकी।



 








सिखों के पहले गुरु नानकदेवजी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना। गुरु नानकदेवजी के जन्मदिवस के अवसर पर विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। इस दौरान पंज (पांच) प्यारे नगर कीर्तन की अगुवाई करते हैं। श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों से होता हुआ गुरुद्वारे पहुंचता है।



 









प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें भारी संख्या में संगतें भाग लेती हैं। प्रभातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं। इस अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानकदेवजी के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि गुरु नानकदेव महाराज महान युगपुरुष थे। नानकदेवजी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया। ऐसे महान युगपुरुष की आज के समय में बहुत जरूरत है।



 








एक ओर जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, वहीं गुरु का प्रसाद लंगर भी बांटा जाता है। साथ ही गुरु नानकदेवजी पर आधारित पोस्टर जारी किए जाते हैं। अपनी परंपरानुसार प्रभातफेरी में शामिल स्त्री-पुरुष सफेद वस्त्र एवं केसरिया चुन्नी धारण कर गुरुवाणी का गायन करते हुए चलते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर हार-फूल से स्वागत किया जाता है। शाम को दीवान सजाकर शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया जाता है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। गुरु नानकदेवजी का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। 



 











 


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