नई दिल्ली (भाषा)। सड़क हादसों के लिहाज से मई और मार्च भारत के लिए सबसे बुरे महीने साबित हुए हैं। पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि प्रति वर्ष इन दो महीनों में करीब 18 फीसदी सड़क हादसे हुए और अकेले मई, 2015 में इसके चलते 14,000 से अधिक लोगों की जान चली गयी।
पिछले वर्ष का मई महीना सडक हादसों के लिहाज से सबसे अधिक घातक रहा। उस दौरान 46,247 सड़क दुर्घटनाओं में 14,000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी और 47,000 से अधिक लोग घायल हो गये।
सड़क दुर्घटना पर किये गये हालिया अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015 में पांच लाख से अधिक सड़क हादसे हुए जिनमें नौ प्रतिशत हादसे केवल मई में हुए। पिछले साल दुर्घटनाओं में लगभग 1.46 लाख लोगों की मौत हो गयी वहीं पांच लाख लोग घायल हुए।
मई के बाद इस दृष्टिकोण से सबसे घातक महीना मार्च साबित होता दिखा रहा है और पिछले दो वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं के मामले में यह महीना दूसरे स्थान पर रहा। हाल में प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट 'भारत में सड़क दुर्घटनाएं' के अनुसार, ‘‘मई में सबसे अधिक 46,247 सड़क हादसे हुए। इसके बाद मार्च में ऐसे 42,842 मामले सामने आये। वर्ष 2015 के आंकड़ो को माहवार देखें तो पता चलता है कि मई में कुल हादसों के 9.2 प्रतिशत और मार्च में 8.5 फीसदी मामले सामने आये।'' वर्ष 2014 में भी हालत लगभग ऐसे ही थे जब मई में 45,404 सड़क दुर्घटनाएं हुईं और मार्च में 42,524।
इसके अलावा इस अध्ययन से जो सबसे अहम बात निकलकर सामने आयी है उसके अनुसार सबसे अधिक 87,819 सड़क हादसे अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे के बीच हुए, जो कुल हादसों का 17.5 प्रतिशत है। वहीं शाम छह बजे से नौ बजे के बीच 86,836 हादसे हुए जो कुल हादसों का 17.3 प्रतिशत है।