पीला रतुआ रोग से गेहूं को बचाएं

Update: 2016-02-12 05:30 GMT
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने मंथन कर कृषि सुझाव जारी किए हैं।

गेहूं : किसान भाई गेहूं में पीला रतुआ रोग की देखभाल करते रहें। यदि रोग के लक्षण दिखाई दें तो प्रोपिकोनजोल 25 ईसी  0.1 फीसदी का छिडकाव करें। गेहूं की फसल में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफास 20 ईसी  2.0 लीटर प्रति एकड़ सिंचाई के साथ दें।

सरसों : सरसों की फसल में चेंपा कीट की निगरानी करते रहें। प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को नष्ट कर दे। यदि प्रकोप अधिक हो तो रोगोर या क्यूनलफांस 2.0 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।

चना : इस मौसम में चने की फसल में उकठा रोग आने की संभावना रहती है। अत: उकठा रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर जमीन में दबा दें, ताकि रोग को फैलने से रोका जा सके। चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश 3.4 प्रपंश प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 30.40 फीसदी फूल खिल गए हों।

सब्जियां : इस सप्ताह तापमान बढऩे की संभावना को देखते भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4 परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई के लिए खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें। बीज की मात्रा 10-15 किग्रा/एकड़ की व्यवस्था करें।

मिर्च, टमाटर व बैंगन की पौधशाला पालीघरों में तैयार करें तथा कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों में भर कर पालीघरों में रखें।

किसान एकल कटाई के लिए पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पीईबीएएचएम1) की बुवाई करते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

प्याज की समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निगरानी करते रहें। कीट होने पर इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/ली पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदिब (1.0 ग्रा/ लीटर) घोल में मिलाकर छिड़काव करें।    

संकलन-विनीत वाजपेई 

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