पंजाब में कम हो सकता है बासमती धान का रकबा

Update: 2016-08-01 05:30 GMT
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चंडीगढ (भाषा)। इस वर्ष पंजाब में बासमती चावल का रकबा 30 प्रतिशत घटने की आंशका है। इसका कारण उत्पादकों को कम कीमत मिलना और अधिक उत्पादन वाली 1509 किस्म की पिछले वर्ष बुवाई के रास्ते में समस्या का होना है।

प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल का रकबा घटने का मतलब है कि सामान्य किस्मों और ग्रेड-ए किस्मों का रकबा उल्लेखनीय रुप से बढे़गा। चावल निर्यातकों ने किसानों की खराब स्थिति और बासमती के अंतर्गत रकबे में कमी के लिए राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत बेहतर गुणवत्ता के चावल का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रही है।

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सठी ने आज कहा, ‘‘हमारा मानना है कि पंजाब में बासमती फसल का रकबा इस मौसम में 25 से 30 प्रतिशत कम होगा।'' पंजाब में मौजूदा खरीफ सत्र में बासमती का रकबा करीब पांच लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 35 प्रतिशत कम है।

पंजाब कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में बासमती के अंतर्गत रकबा 2015-16 में 7.63 लाख हेक्टेयर तथा 2014-15 में 8.62 लाख हेक्टेयर था।

मुख्य कृषि अधिकारी (अमृतसर) बीएस चीना ने कहा, ‘‘उत्पादकों ने इस साल बासमती 1509 की जगह साधारण किस्मों को तरजीह दी है। इसका कारण पिछले साल बासमती चावल के उठान में आनी वाली समस्या है।'' पिछले साल चावल विक्रेताओं तथा निर्यातकों ने चावल के दाने टूटे होने का हवाला देते हुए पूसा बासमती 1509 किस्म नहीं लिया जिससे किसानों को परेशानी हुई थी।

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