पपीते की खेती में मुनाफा ज्यादा

Update: 2016-05-21 05:30 GMT
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लखनऊ। पपीता सबसे कम समय में फल देने वाला पेड़ है इसलिए किसान कम समय में मुनाफा कमाने के लिए इसे लगाते हैं। यह स्वास्थवर्धक होता है, इसमें कई पाचक एन्जाइम भी पाए जाते हैं और इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बीमारी भी दूर की जा सकती है।

जलवायु: पपीते की अच्छी खेती गर्म नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है। इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए लू और पाले से पपीते को बहुत नुकसान होता है। इनसे बचने के लिए खेत के उत्तरी पश्चिम में हवा रोधक वृक्ष लगाना चाहिए पाला पड़ने की आशंका हो तो खेत में रात्रि के अंतिम पहर में धुंआ करके एवं सिंचाई भी करते रहना चाहिए।

भूमि: जमीन उपजाऊ हो और जिसमें जल निकास अच्छा हो तो पपीते की खेती उत्तम होती है, जिस खेत में पानी भरा हो उस खेत में पपीता कदापि नहीं लगाना चाहिए क्योंकि पानी भरे रहने से पौधे में कॉलर रॉट बीमारी लगने की सम्भावना रहती है, अधिक गहरी मिट्टी में भी पपीते की खेती नहीं करनी चाहिए।

भूमि की तैयारी: खेत को अच्छी तरह जोतकर समतल बनाना चाहिए और भूमि का हल्का ढाल उत्तम है, 2- 2 मीटर के अन्दर पर लम्बा, चौड़ा, गहरा गढ्ढा बनाना चाहिए, इन गढ्ढों में 20 किलो गोबर की खाद, 500 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 250 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश को मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के कम से कम 10 दिन पूर्व भर देना चाहिए।

किस्म : पूसा मेजस्टी एवं पूसा जाइंट, वाशिंगटन, सोलो, कोयम्बटूर, हनीड्यू, कुंर्गहनीड्यू, पूसा ड्वार्फ, पूसा डेलीसियस, सिलोन, पूसा नन्हा आदि प्रमुख किस्में है।

बीज : एक हेक्टेयर के लिए 500 ग्राम से एक किलो बीज की आवश्यकता होती है, पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किए जाते हैं, एक हेक्टेयर खेती में प्रति गढ्ढे 2 पौधे लगाने पर 5000 हजार पौध संख्या लगेगी।

लगाने का समय एवं तरीका : पपीते के पौधे पहले रोपणी में तैयार किए जाते हैं, पौधे पहले से तैयार किये गढ्ढे में जून, जुलाई में लगाना चाहिए, जहां सिंचाई का समुचित प्रबंध हो वहां सितम्बर से अक्टूबर और फरवरी से मार्च तक पपीते के पौधे लगाए जा सकते हैं।

नर्सरी में रोपा तैयार करना : इस विधि द्वारा बीज पहले भूमि की सतह से 15 से 20 सेमी ऊंची क्यारियों में कतार से कतार की दूरी 10 सेमी, तथा बीज की दूरी 3 से 4 सेमी रखते हुए लगाते हैं, बीज को 1 से 3 सेमी से अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए, जब पौधे करीब 20 से 25 सेमी ऊंचे हो जाएं तब प्रति गढ्ढा 2 पौधे लगाना चाहिए।

पौधे पालीथिन की थैली में तैयार करने की विधि : 20 सेमी चौड़े मुंह वाली, 25 सेमी लम्बी और 150 सेमी छेद वाले पालीथिन थैलियां लें। इन थैलियों में गोबर की खाद, मिट्टी एवं रेत का सम्मिश्रण करना चाहिए, थैली का ऊपरी 1 सेमी भाग नहीं भरना चाहिए, प्रति थैली 2 से 3 बीज होना चाहिए, मिट्टी में हमेशा पर्याप्त नमी रखना चाहिए, जब पौधे 15 से 20 सेमी ऊंचे हो जाएं तब थैलियों के नीचे से धारदार ब्लेड द्वारा सावधानी पूर्वक काट कर पहले तैयार किए गए गढ्ढों में लगाना चाहिए।

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