प्रदेश में मुर्गी पालन पर मिलेगी भारी छूट

Update: 2016-01-21 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने राज्य में कुक्कुट पालन की इकाइयां लगाने वाले निवेशकों को विभिन्न प्रकार की रियायतें देने का निर्णय लिया है। इसके तहत 10,000 पक्षी क्षमता के कामर्शियल लेयर्स इकाइयों की स्थापना की जा सकती है।

यह जानकारी प्रदेश के पशुधन एवं मत्स्य विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश गुप्त ने दी। उन्होंने बताया, ''उत्तर प्रदेश में प्रदेश और देश के ही नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीय भी कुक्कुट पालन की इकाइयां लगा सकते हैं।'' उन्होंने बताया, ''किसी भी स्रोत से एक इकाई के लिए एक एकड़ भूमि खरीदने पर प्रदेश के सभी जिलों में स्टैम्प ड्यूटी पर शत-प्रतिशत छूट दी जायगी। इसी प्रकार कुक्कुट आहार उत्पादन के लिए आहार इनग्रेडिएन्ट्स पर प्रवेश शुल्क की छूट अनुमन्य होगी।''

प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रत्येक इकाई को 400 रूपये प्रतिमाह की दर से 10 वर्षों तक विद्युत ड्यूटी में छूट दी जायेगी। दस हजार कमर्शियल लेयर्स की एक इकाई के लिए अधिकतम 49 लाख रूपये या वास्तविक बैंक ऋण पर दस प्रतिशत की वार्षिक दर से अधिकतम पांच वर्षों तक ब्याज की प्रतिपूर्ति की सुविधा अनुमन्य होगी। इस प्रतिपूर्ति की दर अधिकतम 13.33 लाख रूपये प्रति इकाई होगी।

उन्होंने बताया कि अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास नीति के तहत कुक्कुट इकाइयों की स्थापना के लिए अनुमन्य छूट की व्यवस्था सरकार ने की है।

प्रमुख सचिव ने बताया कि कुक्कुट विकास का मुख्य उद्देश्य कुक्कुट उद्योग एवं उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा मध्यम एवं लघु उद्यमियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर सुलभ कराना है। 

कुक्कुट विकास नीति-2013 के तहत कुल 630 इकाइयों को स्थापित करने का प्राविधान किया गया है, जिनकी कुल क्षमता 123 लाख पक्षी होगी।

रजनीश गुप्त ने बताया कि कुक्कुट विकास योजना के अन्तर्गत एक लाभार्थी अधिकतम दो इकाइयां स्थापित कर सकता है। प्रदेश के एनआरआई अथवा अन्य राज्यों के लाभार्थी व्यक्तिगत/कम्पनी/ग्रुप के रूप में भी इकाई स्थापित करने के लिए पात्र होंगे। 

उन्होंने बताया कि 30,000 पक्षियों की कामर्शियल इकाइयां संचालित करने वाले लोग 10,000 कामर्शियल लेयर्स की अधिकतम दो इकाइयां लगा सकते हैं। इसके साथ ही लाभार्थियों के परिजन भी अधिकतम दो इकाइयां प्रति व्यक्ति लगा सकते हैं।

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