कोलकाता (भाषा)। पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर जल्द ही ‘बंगाल' किया जा सकता है। राज्य मंत्रिमंडल ने आज राज्य का नाम बदलने का फैसला किया। वहीं भाजपा ने यह कहकर इस कदम की आलोचना की है कि सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस 1947 में हुए देश के दर्दनाक बंटवारे का इतिहास मिटाना चाहती है।
पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि मंत्रिमंडल ने राज्य का नाम बदलकर अंग्रेजी में ‘बंगाल' करने और बांग्ला में ‘बंगो' या ‘बांग्ला' करने का एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने ओडिशा जैसे दूसरे राज्यों और मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे शहरों का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘बंगाल' शब्द से राज्य की संस्कृति और विरासत जुड़ी हुई है, इसलिए इसे बदलने का फैसला किया गया।
इससे पहले राज्य सरकार ने केंद्र के पास पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘पश्चिम बंगो' करने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन उसे कभी मंजूरी नहीं मिली। चटर्जी ने कहा, ‘‘अब हम एक नया प्रस्ताव दे रहे हैं और इसे लेकर एक प्रस्ताव पारित करने के लिए 26 अगस्त को विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाएंगे।'' नाम बदलने का एक और कारण यह है कि जब भी सभी राज्यों की कोई बैठक होती है, पश्चिम बंगाल अंग्रेजी वर्णमाला क्रमानुसार सबसे नीचे आता है। मंत्री ने कहा, ‘‘हमारी मुख्यमंत्री को सबसे आखिर में बोलने का मौका मिलता है। तब कम समय बचा होता है।'' सचिवालय के अधिकारियों ने कहा कि नाम बदलने के लिए संसद की मंजूरी चाहिए।
इसी बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘राज्य सरकार के पास कोई काम नहीं है और इसलिए वे या तो राज्य को नीले और सफेद रंग में रंग रहे हैं या फिर नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इससे क्या हासिल होगा, यह वही जानते हैं। वे बंटवारे के दर्दनाक इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार जनता की मांग के आधार पर फैसले लेती है। मेरा सवाल है कि क्या इस तरह के बदलाव की कोई मांग की जा रही है? तृणमूल कांग्रेस की सरकार को बहुमत हासिल होने का यह मतलब नहीं है कि वे वहीं करें जो उन्हें पसंद है।''