बहराइच। जर्जर हालत में पड़ी पशु चिकित्सालय की इमारत कभी भी बड़़े हादसे का सबब बन सकती है। चौंकाने वाली बात ये है कि भवन के मरम्मतीकरण के लिए धनराशि भी आ चुकी है लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। साथ ही कई दवाईयां भी यहां पर उपलब्ध नहीं है।
जिला मुख्यालय पर एकमात्र सदर पशु चिकित्सालय स्थित है। भवन के ऊपर ही मुख्यालय है। आसपास के कई इलाकों के जानवरों के टीकाकरण से लेकर स्वास्थ्य संबंधी तमाम जिम्मेदारियां इस पशु चिकित्सालय के कर्मचारियों को ही निभानी पड़ती हैं। यहां पर पांच लोगों का स्टॉफ है। विभाग की शिथिलता के चलते भवन अपने अनुमानित समय से कहीं ज्यादा वर्षों से बगैर मरम्मत के खड़ा है।
उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी सदर शिव कुमार रावत बताते है, ''यहां पर प्रतिदिन 20-25 जानवरों का इलाज होता है। विभाग ने हम लोगों पर 23 हजार जानवरों की चिकित्सा की जिम्मेदारी दे रखी है। शासन की ओर से इस भवन के निर्माण के लिए लगभग 33 लाख रुपए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के पास आ चुके हैं। पंचायत चुनाव के कारण अभी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है।"
भवन में बनाया गया प्रयोगशाला कक्ष भी बंद हो चुका है। दवाईयों और संसाधनों के अभाव में पशुपालक भी यहां पर अपने मवेशियों का उपचार कराना सही नहीं समझ रहे हैं। बशीरगंज मोहल्ले के निवासी परशुराम (42 वर्ष) बताते हैं, ''मेरी भैंस की तबीयत खराब हो गई थी। मैंने उसे पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया। दो दिन तक इलाज के बाद उसकी मौत हो गई। पता नहीं कौन सी दवाई थी कि वो मर गई। इसके बाद अधिकारियों ने दस हजार रुपए का मुआवजा भी दिलाया।"
रिपोर्टर - नित्यम श्रीवास्तव