पुलिस और लेखपाल विवाद में पिसी जनता

Update: 2015-12-24 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

तिर्वा(कन्नौज)। हड़ताल व धरना कोई भी सरकारी विभाग करे, लेकिन परेशानी तो आम जनता को ही उठानी पड़ती है। ऐसा ही मामला तिर्वा तहसील का रहा। यहां छठवें दिन आरोपी दरोगा के माफी मांगने पर लेखपालों ने अपना धरना और हड़ताल समाप्त की। सैकड़ों आय, जाति व मूल निवास प्रमाण पत्र फंस गए। किसानों को भी दिक्कतें उठानी पड़ीं। 

उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने तिर्वा तहसील में धरना व हड़ताल कर दी। संघ के अध्यक्ष बृजनंदन सिंह यादव का आरोप था कि पंचायत चुनाव के दौरान आठ दिसम्बर को प्राथमिक पाठशाला रामपुर लाख में पोलिंग स्टेशन नंबर 65 में स्थित बूथों को बनाने का काम चल रहा था। इसी दौरान एचसीपी महेंद्र पाल सिंह आए और लेखपाल सोवरन लाल भारतीय से अभद्रता कर दी। जबरन दरोगा ने लेखपाल को वाहन में बिठा लिया और लेकर चले गए। लेखपालों ने इसकी जानकारी नायब तहसीलदार प्रेमनरायन प्रजापति को दी। तब कहीं जाकर लेखपाल को छोड़ा गया। घटना के विरोध में सभी लेखपाल अपने साथी के पक्ष में लामबंद हो गए। उन्होंने आरोपी दरोगा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। 11 दिसम्बर को आपातकालीन बैठक की गई।

उच्चाधिकारियों से भी सहयोग मांगा। सहयोग न मिलने पर 16 दिसम्बर से हड़ताल शुरू कर दी थी। हड़ताल की वजह से कार्य प्रभावित हुआ। किसान बैरंग वापस लौटने लगे। खसरा-खतौनी भी नहीं बनीं। छात्रों के आय-जाति, व मूल निवास प्रमाण पत्र इंटरनेट से इसलिए नहीं निकल सके कि उनमें लेखपालों की रिपोर्ट नहीं लगी थी। बाद में एसडीएम उदयवीर सिंह व सीओ सुरेंद्र पाल सिंह ने मामले में दखल देखकर दरोगा को राजी किया और लेखपाल से माफी मांगी। तब कहीं जाकर लेखपाल काम पर लौटे। यह मामला लेखपालों का ही नहीं है। शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग, बैंक समेत कई विभागों में हड़ताल होती है, इससे कामकाज तो प्रभावित होते ही हैं साथ ही जनता को इसकी सजा भुगतनी पड़ती है। 

रिपोर्टर - विजय कुमार मिश्रा 

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