पुलिस की नाक के नीचे पनप रहा नेपाली दारू का धंधा

Update: 2016-06-25 05:30 GMT
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शोहरतगढ़। जनपद के बार्डर इलाकों में नेपाली दारू का धंधा पुलिस की नाक के नीचे बड़े स्तर पर पनप रहा है। इसके चलते राजस्व को लाखों की चपत लग रही है। शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र की पुलिस ने वर्ष 2015 में 4052 बोतल नेपाली दारू पकड़ कर दर्जनों पर कार्रवाई किया लेकिन यह धंधा मंद नहीं पड़ रहा है। थाना क्षेत्र से सटे इलाकों में तस्कर दारू के धंधे को बेरोकटोक चला रहे हैं। 

थाना क्षेत्र के अंतर्गत नेपाली दारू का धंधा पुलिस की नाक के नीचे किस तरह से पनप रहा है यह पुलिस के आंकड़े बताते हैं। तस्करों के लिए जुलाई और नवंबर माह बेरुखी साबित हुए हैं। पुलिस ने जुलाई में 1062 और नवंबर में 912 बोतल कर्णाली व लीची ब्रांड का दारू पकड़कर तस्करों पर कार्रवाई किया।

जबकि तस्करों के लिए अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर महीने मुफिद साबित हुई। इस माह तस्कर पुलिस के हत्थे एक भी तस्कर नहीं आया। शेष महीनों में महकमें ने गिनती के दारू और तस्करों को पकड़ कर कार्रवाई की लेकिन तस्करों पर कार्रवाई का जरा भी असर नहीं दिखा। इसके चलते हर दिन तस्कर पुलिस की नाक के नीचे थाना क्षेत्र से सटे इलाकों में अपने धंधे को बेरोकटोक अंजाम दे रहे हैं। जिससे राजस्व को लाखों की चपत लग रही है। 

सस्ती दरों पर मिल रहा दारू

नेपाली दारू सस्ता और देशी की अपेक्षा ज्यादा असरदार होने के चलते मजदूर तबका बड़े स्तर पर इसका सेवन कर रहा है। देशी भट्ठियों पर 52 रुपए में 200 एमएल लैला, 65 रुपए में 200 एमएल मिस्टर लाइम व 77 रुपए में 200 एमएल ओल्ड फ्रेंड दारू मिलता है। जबकि मात्र 30 रुपए में 300 एमएल कर्णाली व 35 रुपए में 300 एमएल लीची ब्रांच की नेपाली दारू आसानी से मिल जाता है। सरकारी देशी दारू की अपेक्षा कम लागत में ज्यादा व असरदार होने के चलते लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं बार्डर पर इसका रेट और भी सस्ता है।

डीलर की मौत, शबाब पर कारोबार

थानाक्षेत्र में नेपाली दारू के बड़े तस्कर घनश्याम उर्फ गोल्डन की गत दो महीने पहले मौत हो जाने के बाद भी यह धंधा अभी तक मंद नहीं पड़ा है। इनके सहयोगी पुलिस की मिली भगत से अपना धंधा चला रहे हैं। इसके चलते राजस्व को बड़े स्तर पर नुकसान उठानी पड़ रही है।   

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