राहुल गांधी, केजरीवाल को झटका, चलता रहेगा आपराधिक मानहानि का मुक़दमा

Update: 2016-05-13 05:30 GMT
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नई दिल्लीह (भाषा)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आपराधिक मानहानि कानून के खिलाफ दायर याचिका पर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि के मुद्दे पर दंडात्मक कानूनों की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की और कहा कि हमने देशभर में मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए हैं कि वो निजी मानहानि की शिकायतों पर सम्मन जारी करते समय बेहद सावधानी बरतें। शीर्ष कोर्ट ने आईपीसी की धारा 499 और 500 को संवैधानिक करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपनी टिप्प णी में कहा कि आपराधिक मानहानि की धाराएं सही, आपराधिक मानहानि का कानून चलता रहेगा। शीर्ष कोर्ट के इस फैसले से राहुल गांधी और केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है।

जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल, सुब्रमण्यम स्वामी और अन्य की याचिकाओं पर फैसला करते हुए कहा कि मानहानि के मामलों में जारी सम्मन के खिलाफ उच्च न्यायालय जाना उन पर निर्भर करता है। आठ सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय जाने तक अंतरिम राहत जारी रहेगी और निचली अदालत के समक्ष फौजदारी कार्यवाही स्थगित रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि से जुड़ी आईपीसी की धारा 499, 500 को सही ठहराया है। कोर्ट ने अपनी टिप्पजणी में कहा कि आपराधिक मानहानि की धाराएं सही है, आपराधिक मानहानि का कानून चलता रहेगा। इसका मतलब यह है कि राहुल और केजरीवाल पर दर्ज मुकदमे चलेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई राहत चाहता है तो कानूनी प्रकिया के तहत हाईकोर्ट में अर्जी दे। इसके अलावा अन्यह नेताओं पर भी आपराधिक मानहानि के केस चलते रहेंगे।  

राहुल गांधी के वकील कपिल सिब्बल ने जब कहा कि कांग्रेस नेता को 19 जुलाई को पेश होना है तो उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सुरक्षा के बारे में उनकी याचिका जुलाई में सुनी जाई।

गौर हो कि याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि आईपीसी का उक्त प्रावधान संविधान से मिले अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है। इस क़ानून के तहत दोषी पाए जाने पर दो साल की सजा का प्रावधान है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई पॉलिसी किसी को पसंद नहीं है तो उसकी आलोचना मानहानि के दायरे में नहीं है। भारतीय संविधान में सभी को बोलने व अभिव्यक्ति का अधिकार मिला है, ऐसे में आलोचना में कुछ भी गलत नहीं, लेकिन ऐसी कोई भी आलोचना, जिससे किसी व्यक्ति विशेष के सम्मान को ठेस पहुंचे, तो वह मानहानि के दायरे में होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आलोचना की एक सीमा होती है। वो क़ानून के दायरे में होनी चाहिए, लेकिन अगर किसी की छवि खराब करने के लिए ऐसा किया जाता है तो मानहानि माना जाएगा। वहीं याचिकाकर्ता व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ओर से दलील दी गई थी कि उक्त प्रावधान को खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि यह औपनिवेशिक कानून है और इसका दुरुपयोग हो रहा है। ये क़ानून बोलने की आज़ादी के अधिकार का हनन करता है, सो, इस पर विचार करने और इसे ख़त्म करने की ज़रूरत है।

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