नई दिल्ली। रघुराम राजन को फिर से आरबीआई गर्वनर बनाए जाने के सवाल पर वॉल स्ट्रीट से बोले पीएम मोदी, पूछा- नियुक्ति पर मीडिया की रुचि क्यों ? पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट को दिए इंटरव्यू में कहा कि आरबीआई गर्वनर की नियुक्ति प्रशासनिक विषय है। मैं नहीं समझता कि इसमें मीडिया की रुचि होनी चाहिए। आरबीआई गर्वनर की नियुक्ति का फैसला सितंबर में ही लिया जाएगा।
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को ख़त्म हो रहा है। सरकार के साथ तल्ख रिश्तों की वजह से बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी उन्हें वक्त से पहले ही हटाने की मांग कर रहे हैं।
स्वामी ने राजन पर लगाए हैं गंभीर आरोप
आपको बता दें कि कल बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर हमला बोला और उनके खिलाफ छह आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें तत्काल इस पद से बर्खास्त करने की मांग की।
स्वामी ने आरोप लगाया कि राजन ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर लघु एवं मझोले उद्योगों का नुकसान किया। स्वामी ने कहा कि गवर्नर को ब्याज दर बढ़ाने और उसे उंचा रखने के नतीजों के बारे में समझना चाहिए थे। उन्होंने कहा कि उनकी ये नीति जानबूझकर थी इसके पीछे मंशा राष्ट्र विरोधी थी।
उन्होंने ने ये दावा भी किया कि राजन शिकॉगो विश्वविद्यालय के अपने ईमेल आईडी के जरिये गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय सूचनाएं भेजते रहे हैं जो असुरक्षित है। इसके अलावा वो सार्वजनिक तौर पर बीजेपी सरकार का अपमान करते रहे हैं।
स्वामी ने कहा कि उन्होंने रिजर्व बैंक गवर्नर पर जो छह आरोप लगाए हैं, वो पहली नजर में वे सही हैं। ऐसे में राष्ट्र हित में राजन को तत्काल बर्खास्त किए जाने की जरूरत है। मोदी को एक पखवाड़े में लिखे दूसरे पत्र में स्वामी ने आरोप लगाया कि एक संवेदनशील तथा काफी उंचे सरकारी पद पर होने के बावजूद राजन अपने ग्रीन कार्ड के नवीनीकरण के उद्येश्य से लिए बीच बीच में अमेरिका की यात्राएं करते रहे हैं जो नवीनीकरण के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर का पद काफी ऊंचा होता है और इसके लिए देशभक्ति तथा राष्ट्र के प्रति बिना शर्त वाली प्रतिबद्धता की जरूरत होती है। बीजेपी नेता स्वामी ने आरोप लगाया कि राजन अमेरिका के डॉमिनेटेड ग्रुप आफ 30 के सदस्य हैं। ये समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की प्रभुत्व की स्थिति का बचाव करता है।
उन्होंने कहा कि राजन द्वारा ब्याज दरों को ऊंचा रखने पर जोर से घरेलू लघु एवं मझोले उद्योगों में मंदी आई है। इससे न केवल उत्पादन में भारी गिरावट आई है बल्कि बड़ी संख्या में अर्धकुशल श्रमिक बेरोजगार भी हुए हैं।