पेड़ लगाना हो मौलिक कर्तव्य, तभी हो सकती है हरियाली क्रांति: पीपल बाबा

पीपल बाबा लॉकडाउन के दौरान भी 19 हजार से अधिक पेड़ लगा चुके हैं। वह देश के 18 राज्यों के 202 जिलों में 2 करोड़ से अधिक पेड़ लगा चुके पर्यावरणकर्मी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपला बाबा ने देश में 40 फीसदी क्षेत्र पर पेड़ लगाने की मुहिम चलाई है, जिसे वह हरियाली क्रांति का नाम देते हैं।

Update: 2020-06-23 06:00 GMT

कोरोना काल में सबसे अधिक चर्चा पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की हुई। कोरोना काल के दौरान पहली बार लोगों को एहसास हुआ कि प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के नतीजे भयावह हो सकते हैं। लेकिन एक तरफ लॉकडाउन से लोग अनलॉक की तरह बढ़े और दूसरी तरफ एक बार ‌फिर से पर्यावरण के प्रति बेपरवाही दिखनी शुरू हो गई। ऐसे में पर्यावरण को लेकर करीब 43 साल से पेड़ लगाने की मुहिम चलाने वाले प्रेम परिवर्तन यानी पीपल बाबा ने कुछ मूलभूल बदलावों की ओर ध्यान देने को कहा है।

भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार 263 वर्ग किलोमीटर है। पूरे विश्व के क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो यह महज 2.4 प्रतिशत हिस्सा होता है। लेकिन विश्व की जनसंख्या के पैमाने पर देखें तो इस देश में करीब 17.5 फीसदी लोग यही रहते हैं। ऐसे में देश के 18 राज्यों के 202 जिलों में 14 हजार पांच सौ स्वयंसेवकों के साथ काम कर रहे 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके पर्यावरणकर्मी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपला बाबा ने देश में 40 फीसदी क्षेत्र पर पेड़ लगाने की मुहिम चलाई है। इसे वह श्वेत क्रांति, हरित क्रांति के तर्ज पर हरियाली क्रांति का नाम दे रहे हैं।

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लेकिन इसमें जन-भागीदारी सुनिश्चित किए जाने को लेकर वह देश के जन-प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं। साथ ही जनता पर प्रभाव रखने वाले लोगों से संपर्क कर के उनसे अपील कर रहे हैं वो अपने चाहने वालों से पेड़ लगाने की गुजारिश करें।


मौलिक कर्तव्यों में हर नागरिक को पेड़ लगाने की बात को जोड़ा जाना

सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (1976) में मौलिक कर्तव्यों में पर्यावरण संरक्षण को भी जगह दी गई। अब पीपल बाबा ने भारत सरकार से यह मांग की है कि मौलिक कर्तव्यों में पर्यावरण संवर्धन हेतु हर साल एक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करने की बात को अनिवार्य किया जाए।

सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिबिलिटी (CER) को नागरिक के लिए अनिवार्य कर्तव्य घोषित किया जाए

जैसे सीएसआर एक्ट -2013 के मुताबिक देश के बड़े औधोगिक घरानों को उनके कमाई के 2 % भाग को सामजिक कार्यों में खर्च करने के लिए अनिवार्य बना दिया गया था और देश के औधोगिक घरानों और समूहों ने सहर्ष स्वीकार किया था। वैसे ही देश के नागरिकों के लिए सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिबिलिटी तय किया जाए, कम से कम उन्हें साल भर में एक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी जरूर दी जाए।


स्वच्छ भारत अभियान में भी पर्यावरण को दिया जाए विशेष तरजीह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाये गए स्वच्छ भारत अभियान से देश के हर हिस्से के लोग जुड़े थे। साफ सफाई करते हुए तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी पर इन तस्वीरों में पेड़ लगाते हुए तस्वीरें भी दिखें।

पीपल बाबा का कहना है कि राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणापत्र में हमेशा से रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार को मुद्दा बनाते रहे हैं इस वजह से पर्यावरण हासिये पर रहा है। पर्यावरण संवर्धन के लिए पेड़ लगवाने की भी घोषणा की जानी चाहिए। इसके संदर्भ में पीपल बाबा आगे यह कहते हैं कि हरियाली क्रांति को जनता और नेता सब अपना मुद्दा और मकसद बनायें।

लॉकडाउन के दौरान भी जारी था पीपल बाबा का पेड़ लगाओ अभियान

सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन के दौरान भी पीपल बाबा का दिल्ली एनसीआर में पेड़ लगाने कार्यक्रम जारी रहा। इस दौरान लॉकडाउन 2 के दौरान विशेष अनुमति लेकर उत्तराखंड जाकर पेड़ों की सैंपलिंग भी करानी पड़ी। इसी दौरान अपने जन्मदिन पर एक पेड़ लगाने की मुहिम में मशहूर न्यूज एंकर ऋचा अनिरुद्ध ने पेड़ लगाए।

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पीपल बाबा की Give me Trees के जरिए लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण पखवाड़े (1 जून से 15 जून के मध्य) में 19 हजार से ज्यादा (नोएडा के सेक्टर 115 में 6,000 हरिद्वार में 5,500 , नॉएडा के सेक्टर 50 में 5000 और लखनऊ में 2500) पेड़ लगाए गए। लखनऊ में पर्यावरण पखवाड़े के पहले हफ्ते में मेयर संयुक्ता भाटिया शामिल हुईं, वहीं दिल्ली में ऋचा अनिरुद्ध ने भी हिस्सा लिया। 

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