गंभीर जल संकट का सामना करने वाले देशों में भारत तेरहवें स्थान पर: रिपोर्ट

Update: 2019-08-07 05:38 GMT

भारत गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। हाल ही में आई एक वैश्विक संस्था की रिपोर्ट भी इस बात की पुष्टि करती है। विश्व संसाधन संस्थान के एक रिपोर्ट 'एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस' (डब्ल्यूआरआई) के अनुसार भारत उन 17 देशों में शामिल है, जो गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। भारत इन 17 देशों की सूची में 13वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इन देशों में पानी खत्म होने की स्थिति बनी हुई है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि चेन्नई में हालिया जलसंकट ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भी जलसंकट की स्थिति गंभीर है। उत्तर भारत में भूजल स्तर गंभीर रूप से नीचे चला गया है। इस रिपोर्ट में भारत को कतर, इजरायल, लेबनॉन, ईरान, जॉर्डन, लीबिया, कुवैत, सऊदी अरब, एरिट्रिया, यूएई, सैन मैरिनो, बहरीन, पाकिस्तान, तुर्केमिस्तान, ओमान और बोत्सवाना जैसे देशों में शामिल किया गया है। इन सभी देशों में पानी का संकट अत्यंत ही गंभीर स्थिति तक पहुंच गया है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में जलसंकट पहले के मुकाबले 100 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं भारत में भी 1990 से जलस्तर लगातार गिरा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर भारत में हर साल जलस्तर 8 सेंटीमीटर कम हो रहा है। भारत के जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव और डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीनियर फेलो शशि शेखर ने कहा, "भारत बारिश, सतह भूजल से जुड़े विश्वसनीय और ठोस डाटा की मदद से रणनीतियां बनाकर अपने जल संकट का प्रबंधन कर सकता है।"


इस रिपोर्ट में नीति आयोग की वर्ष 2018 में आई उस रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है जिसमें वर्ष 2020 तक दिल्ली और बंगलुरू जैसे भारत के 21 बड़े शहरों से भूजल गायब हो जाने और इससे करीब 10 करोड़ लोगों को प्रभावित होने की बात की गई थी। नीति आयोग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर पेयजल की मांग ऐसी ही रही तो वर्ष 2030 तक स्थिति और विकराल हो जाएगी।

हाल ही में गाँव कनेक्शन ने भी जलसंकट को लेकर एक सर्वे किया था। इस सर्वे के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत घरों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है और लोगों को पेयजल के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। इस सर्वे में जलसंकट के कारण किसानों को होने वाले सिंचाई समस्या का भी जिक्र किया गया था।

(सभी तस्वीरें- वर्ल्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट वेबसाइट)

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