पहली अहम बात
राज्य-स्तर पर रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा जो रिहाइशी और कारोबारी दोनों तरह के प्रोजेक्ट्स में पैसे के लेन-देन पर नज़र रखेगा।
दूसरी अहम बात
यह सुनिश्चित किया गया है कि बिल्डर जो पैसा उपभोक्ताओं से लेते हैं, उस राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा उन्हें अलग बैंक में रखना होगा जिसका इस्तेमाल सिर्फ निर्माण कार्यों में ही करना होगा।
तीसरी अहम बात
बिल्डर को ख़रीदार को प्रोजेक्ट संबंधी जानकारी जैसे प्रोजेक्ट का ले-आउट क्या है, मंज़ूरी कब कैसे मिली, ठेकेदार कौन हैं, प्रोजेक्ट की मियाद क्या है, काम कब तक पूरा होगा, इस बारे में सटीक जानकारी अनिवार्य तौर पर देना होगी।
चौथी अहम बात
बिल्डर अगर पूर्व घोषित तय समय में निर्माण कार्य पूरा नहीं करता तो उसे उसी दर पर ख़रीदार को ब्याज़ का भुगतान करना होगा जिस दर पर वो ख़रीदार से भुगतान में किसी चूक पर ब्याज़ वसूलता है।
पांचवी अहम बात
कोई बिल्डर अपनी सम्पत्ति को 'सुपर एरिया' के आधार पर नहीं बेच सकेगा जिसमें फ्लैट के अंदर का हिस्सा और बाहर का साझा भाग जैसे लिफ्ट और कार पार्किंग वगैरह होता है।
छठी अहम बात
कोई बिल्डर अगर रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी के आदेश की अवहेलना करता है तो उसे तीन वर्ष तक के लिए जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
सातवीं अहम बात
इसके अलावा, ख़रीदारों के हाथ में फ्लैट आने के तीन महीने के भीतर रेज़ीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का गठन करना होगा ताकि वे साझी सुविधाओं की देखभाल कर सकें।